चंपावत। कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति अल्मोड़ा के तत्वावधान में तिवारी होटल चंपावत में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें चंपावत जनपद में राष्ट्रीय कुमाऊँ भाषा सम्मेलन के आयोजन पर विचार विमर्श किया गया। गोष्ठी में अल्मोड़ा से आए प्रसिद्ध कुमाऊंनी पत्रिका पहरू के संपादक डा. हयात सिंह रावत ने कहा कि कुमाऊनी भाषा हमारी पहचान है, यह हमें अपनी संस्कृति से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि वे कुमाऊं भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार और संरक्षण के लिए चंपावत के साहित्यकारों और समजसेवियों को साथ लेकर चंपावत में राष्ट्रीय कुमाऊं भाषा सम्मेलन के आयोजन दिशा में एक कदम बढ़ाने के लिए आए हुए हैं। उन्होंने कहा कि कुमाऊंनी भाषा, साहित्य संस्कृति प्रचार समिति निस्वार्थ भाव से और जनसहयोग से कुमाऊंनी के प्रचार प्रसार हेतु विगत 16 वर्ष से कार्य कर पहरु पत्रिका का संपादन कर रही है। समिति की प्रेरणा से लगभग 15 स्थानों पर कुमाऊं भाषा सम्मेलन का आयोजन किया जा चुका है, अब चंपावत में इस सम्मेलन का आयोजन मातृभाषा के उन्नयन की दिशा में कदम उठाने की ओर अग्रसर है। गोष्ठी में वक्ताओं ने चंपावत में राष्ट्रीय कुमाऊं भाषा सम्मेलन के आयोजन के प्रस्ताव की सराहना की, और इस कार्य के लिए यहां के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक डा भुवन चंद्र जोशी को मुख्य संयोजक का दायित्व सौंपा गया। और प्राथमिक रूप से 10, 11 और 12 नवंबर को सम्मेलन के आयोजन की तिथि पर विचार किया गया। उसके लिए यहां के साहित्यकारों को दायित्व सौंपे गए। मुख्य संयोजक डा जोशी और सहयोगी लोगों द्वारा यहां के समाजसेवियों, होटल स्वामियों और अन्य दानदाताओं से सहयोग हेतु संपर्क किया जायेगा। साथ ही माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आमंत्रित किया जायेगा। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा तिलकराज जोशी ने की। गोष्ठी में अमरनाथ वर्मा, नवीन चंद्र मुरारी, डा कमलेश सक्टा, , डा सुमन पांडेय, हिमांशु जोशी, डा सतीश चंद्र पाण्डेय, नवीन पंत, भूपेंद्र सिंह देव ताऊ, डा डी एन तिवारी, गिरीश चंद्र पंत, कमला वेदी, दीपा पांडेय, सोनिया आर्या, बबीता जोशी, प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’, ललित मोहन, हेम जुकरिया, गीता तिवारी, सुभाष चंद्र जोशी, आनंद मुरारी, त्रिभुवन उपाध्याय आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर कुमाऊंनी काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। जिसमें तीलू रौतेली पुरस्कार प्राप्त सोनिया आर्या ने का कभे कभे मन किले उदास है जांछ, दीपा पांडेय ने कतूक मीठी मिसरी जसी मयाली छ यो दूधबोली, कमलेश सक्टा ने भाषा लिजी बड़ी चिंता मन में छ मेरि आज, हास्य कवि प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’ ने न कैकि डर न कै कि परवा, ललित मोहन ने चेलि न मार, चेली न मार, चेली हमरी देवी स्वरूपा, डा सुमन पांडेय ने ज्ञानदायिनी मां ज्ञान बढ़ा दे, बबीता जोशी ने ईजा को आंचल बाबू की पीपलै जसि छांव, कमला वेदी ने आपण शिक्षा आपन संस्कार भूलि
गयां आदि पंक्तियों के साथ कुमाऊनी में काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी का संचालन डा सतीश चंद्र पाण्डेय ने किया। मुख्य वक्ता अल्मोड़ा से आए पहरु के संपादक डा हयात सिंह रावत रहे।