लोहाघाट। काशी विश्वनाथ से एक ऐसी ज्योति निकली जो कोलकाता में विश्वनाथ दत्त के घर को आलोकित करने के बाद यही ज्योति स्वामी विवेकानंद के नाम से विख्यात हो गई।स्वामी जी साधारण महापुरुष नहीं बल्कि वह ऐसे युगावतार थे जिनका हृदय मानवीय गुणों,संवेदनाओं से भरा हुआ होने के साथ उनमे सभी दैवित्य गुण समाये हुए थे।यही वजह है कि इस महापुरुष ने अल्पायु में ही दुनिया को जो ज्ञान एवं प्रेरणा दी है वह अनादिकाल तक मनुष्य जीवन का मार्ग प्रशस्त करते रहेगी।यह बात प्रबुद्ध भारत के संपादक स्वामी गुणोतरानंद महाराज ने अद्वैत आश्रम मायावती में स्वामी जी की 161 वी जन्मतिथि के अवसर पर उस स्थान में व्यक्त किए जहां उन्होंने 123 वर्ष पूर्व एक पखवाड़े तक प्रवास किया था।
हालाँकि स्वामी जी का जन्म १२ जनवरी को हुआ था लेकिन रामकृष्ण मिशन में उनकी जन्मतिथि के अनुसार समारोह आयोजित किया जाता है।
विद्वान संत ने कहा कि आत्म विश्वास एवं आत्मचिंतन की कमी के कारण मनुष्य जातियों,दुराग्रहों में बंटता आया। एक परिव्राजक के रूप में स्वामी जी ने जब दुनिया का भ्रमण किया तो उन्हें यह एहसास हुआ कि किस प्रकार विदेशों की मातृ शक्ति प्रारंभ से ही अपने बच्चों को ऐसे संस्कार देती हैं जिससे वह आत्मविश्वास के बल पर गगन चूमने लगते हैं। स्वामी विवेकानंद ने पाश्चात्य जगत के अच्छे विचारों एवं गुणों का आत्मसात कर अपने देश को परम वैभवशाली बनाने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया ।
यही वजह थी कि शिकागो धर्म सम्मेलन में उन्होंने अपनी वाणी से जो उद्गार व्यक्त किए उससे सारा विश्व भारत में छुपी आध्यात्मिक शक्ति ज्ञान विज्ञान को समझने लगे।स्वामी जी ने अपने ३९ वर्ष के जीवन में देश व दुनिया को जो संदेश,ज्ञान एवं आत्मविश्वास दिया है उसके बल पर अनादिकाल तक हमारा देश हर क्षेत्र में सशक्त बनने की ऊर्जा लेता रहेगा। इससे पूर्व आश्रम के प्रबंधक स्वामी सुहृदयानंद, चिकित्सालय के प्रभारी स्वामी एकदेवानंद ने सभी का स्वागत किया। समारोह में सतीश चंद्र पांडेय, कीर्ति बगौली,कुलदीप देव,सतीश खर्कवाल, शशांक पांडेय, त्रिभुवन उपाध्याय,शेखर पुनेठा, सुमित पुनेठा, संदीप बगौली,मोहित पुनेठा,सुधांशु उपाध्याय ,कमल राय,ओम प्रकाश बगौली,विनोद बगौली,प्रख्यात अस्ति रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील गोडबोले,डॉ स्नेहा गोड़बोले के अलावा तमाम लोग मौजूद थे।इस अवसर पर आयोजित भंडारे में सभी लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।