चंपावत। मौसम की पहली वर्षा से जहां धू-धू कर जल रही वन संपदा के विनाश का क्रम थमने से जहां वातावरण में फैली धुंध से आम लोगों को राहत मिली है, वहीं इसे अमृत वर्षा भी कहा जा रहा है हालांकि मौसम की पहली बरसात से पूरे जिले को राहत नहीं मिली है लेकिन मौसम विभाग की मानें तो 12 मई तक अच्छी वर्षा होने की संभावनाएं बनी हुई है। अभी तक चंपावत में आठ, लोहाघाट में छः, पाटी में एक तथा बनबसा में तीन एमएम वर्षा रिकार्ड की गई है। लधिया घाटी और टनकपुर क्षेत्र में बरसात न होने से यहां के लोग आसमान की ओर निगाह डाले हुए हैं। अलबत्ता सभी स्थानों में बना वनाग्नि का दौर थम चुका है।जिला उद्यान अधिकारी टी एन पांडे के अनुसार ताजा वर्ष से जहां प्यासी धरती की आंशिक प्यास बुझ पाई है लेकिन और वर्षा होने की संभावनाओं से किसानों की भविष्य की आशा बढ़ी हैं।
उधर वनाग्नि को बचाने में युद्ध स्तर पर जुटे पुलिस के फायर कर्मियों को काफी राहत मिलने के साथ पानी की भी काफी बचत हुई है। इस दफा फायर कर्मियों को वन संपदा को बचाने में खूब पसीना बहाना पड़ा है। वन विभाग द्वारा वन संपदा को बचाने वाली ग्राम सभाओं को पुरस्कार देने की योजना भले ही देर से शुरू की गई है, लेकिन जब तक वनों के बीच जीवन बिताने वाले लोगों को विश्वास में लेकर भविष्य की कारगर योजना नहीं बनाई जाती है तब तक वनाग्नि में विराम नहीं लग सकता। अभी आग की लपटें तो शांत हो गई हैं लेकिन कैसे मूल्यवान संपदा को बचाया जा सके इस पर नया चिंतन तो शुरू किया ही जाना चाहिए।