लोहाघाट। वैष्णव शक्तिपीठ सकल धाम महर पिनाना, चंपावत जिले का ऐसा पौराणिक, धार्मिक स्थल है जो बद्रीनाथ धाम के लघु रूप में माना जाता है। लेकिन यह स्थल आज तक धर्म कर्म पर आस्था रखने वालों की दृष्टि में ओझल बना हुआ है। चंपावत जिले को देश के पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन, इको टूरिज्म मानचित्र में लाने के प्रयासों में जुटे जिलाधिकारी नवनीत पांडे द्वारा सकल धाम में कपाट खुलते वक्त होने वाले धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने का कार्यक्रम तय होने से अब इस स्थान के विकास के द्वार खुलने जा रहे हैं। इस धाम की उत्पत्ति उस वक्त हुई जब एक निसंन्तान व्यक्ति खेत में हल जोत रहा था तो उसका हल जमीन के अंदर शिला खंड से टकरा गया। जिसे उसने बाहर निकाल कर तोड़ा तो दूसरे दिन वह उससे बड़े आकार के रूप में वहां अवस्थित हो गया। बाद में एक दिन शिलाखंड को तोड़ने के प्रयास करने पर शिलाखंड से खून व दूध की धार फूट पड़ी। उस व्यक्ति को स्वप्न में वैष्णवी के अवस्थित होने की जानकारी हुई। तब से इस स्थान में मन्दिर का निर्माण कर उसी वैष्णव शक्ति को स्थापित किया गया। ठीक एक वर्ष बाद निःसंतान व्यक्ति के घर बच्चे की किलकारी गूंज उठी। जिसे सुनने के लिए वह वर्षों से तरस रहा था। इस स्थान के कुछ ही दूरी में वैष्णवी माता का मंदिर भी है। वहां वैष्णवी की पूजा की जाती है। जहां निरमांशी यानी मान्साहार न करने वाले तथा हल न चलाने वाले लोग मंदिर के पुजारी होते हैं। कैन्युडा गांव के लोगों को यह अधिकार मिला हुआ है। यहां वैष्णव स्तोत्र मन्त्रों का जाप व पूजा की जाती है।
वैशाखी पूर्णिमा के दिन यहां सुबह मंदिर में पारंपरिक रूप से पूजा शुरू हो जाती है। इसके बाद डोला निकलता है डोले में सभी आयुध रखे जाते हैं जिसे स्थानीय भाषा में लोग प्योला कहते हैं। डोली की मंदिर की परिक्रमा के बाद कपाट खुल जाते हैं, जो कार्तिक पूर्णिमा तक खुले रहेंगे यहां निःसंतान दंपति विशेष पूजा के लिए आते हैं। बिरगुल, भिगराड़ा में व महर पीनाना के लोग यहां मंदिर में भगवान को भोग लगाते आ रहे हैं। यहां पूजा पद्धति में पुजारी को वर्ष भर कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। जिलाधिकारी के आगमन की सूचना मिलने पर क्षेत्रीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। मंदिर परिसर में ग्रामीणों द्वारा पिछले तीन दिनों से सफाई का कार्य चल रहा है। प्रमुख कथावाचक एवं पुराणों के मर्मज्ञ प्रकाश कृष्ण शास्त्री का कहना है कि जिलाधिकारी को वैष्णवी शक्ति का ही बुलावा आया है शास्त्री जी का मूल निवास भी यही है। इस धाम में जाने के लिए रीठा साहिब सड़क मार्ग में दुर्गा नगर से पैदल तीन किलोमीटर जाना पड़ता है।