लोहाघाट। कोलीढेक झील को पर्यटन, रोजगार के साथ इसे आर्थिक स्रोत बनाने की दिशा में मत्स्य विभाग एक कदम आगे बढ़ा है। सोमवार को जिलाधिकारी नवनीत पांडे द्वारा मत्स्य विभाग की ओर से कामनग्रास एवं लेमनग्रास प्रजाति की मछलियों के एक लाख मत्स्य बीच झील में प्रवाहित किए। साढे चार लाख घन मीटर पानी की क्षमता, डेढ़ किलोमीटर लंबी औसतन 80 मीटर चौड़ी इस झील में पानी स्थिर नहीं हो रहा है। मौसमी मार का प्रभाव झील पर पड़ने से फूल रिजर्व लेवल (एफआरएल) से 60 सेंटीमीटर पानी कम हो गया अलबत्ता झील यहां पर्यटकों के लिए चुंबकीय आकर्षण का केंद्र बनने के साथ प्रारंभिक चरण में नौका संचालकों समेत 50 लोगों को सम्मानजनक ढंग से जीवन यापन करने के अवसर दे रही है। जिलाधिकारी के अनुसार झील को बहुउद्देशीय बनाने के लिए सतत् प्रयास जारी रखते हुए यहां पर्यटन विभाग द्वारा अलग से डीपीआर तैयार की जा रही है। वर्तमान में यह झील पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। झील के सौंदर्यीकरण के लिए निकट भविष्य में कई कार्य प्रस्तावित किए गए हैं।
मत्स्य निरीक्षक के एस कबडवाल के अनुसार झील के जल में स्थिरता आने के बाद इसमें और मत्स्य बीज डाले जाएंगे। मछलियों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए मत्स्य आहार भी उपलब्ध कराया गया है। जिससे कुछ ही महीनों में यहां पांच सौ से सात सौ ग्राम की मछलियां तैयार हो जाएंगी जो गत वर्ष यहां डाले गई पैंतीस हजार मत्स्य बीज नवंबर में ही तैयार हो गए थे। जिले में मत्स्य पालन को रोजगार से जोड़ने के लिए इस वर्ष नए मत्स्य तालाब बनाए गए हैं एक तालाब से औसतन एक कुंतल मछली का उत्पादन किया जाता है। यदि मछलियों को आहार नियमित दिया जाए तो उनका आकार और तेजी से बढ़ने लगता है। इधर नौका संचालकों की ओर से प्रकाश ढेक, विनोद ढेक, कलीम गिरीश ढेक, राहुल आदि ने जिलाधिकारी का स्वागत करते हुए उन्हें ज्ञापन देकर झील परिसर में शौचालय, मूत्रालय एवं पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं दिए जाने की मांग की। डीएम ने उन्हें बताया कि प्रस्तावित झील की डीपीआर में सभी सुविधाओं का समावेश किया गया है। इस अवसर पर जिला सूचना अधिकारी गिरजा जोशी, सिंचाई विभाग के अपर सहायक अभियंता अमित उप्रेती, प्रबुद्ध शर्मा, दीपक चौबे, वीडिओ अशोक अधिकारी भी मौजूद थे।