चंपावत। भारत सरकार द्वारा एक देश एक चुनाव की प्रणाली पूरे देश में लागू किए जाने के प्रयासों का जहां समाज का हर वर्ग स्वागत कर रहा है वही उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों को समान रूप से लागू करने की मांग जोर पकड़ गई है। एक देश एक चुनाव से सरकारी धन की बर्बादी रुकने के अलावा वर्ष भर कोई न कोई चुनाव की प्रक्रिया जारी रहने से विकास बाधित होते आ रहा हैं। वर्ष 2000 में भारत सरकार द्वारा उत्तरांचल अब उत्तराखंड राज्य अधिनियम को 25 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति द्वारा नोटिफिकेशन में अपने हस्ताक्षर किए गए थे। उसके बाद इसी वर्ष 9 नवंबर को देश के 27वें राज्य के रूप में उत्तराखंड अस्तित्व में आया। उसी वक्त उत्तराखंड में हरिद्वार का कुंभ क्षेत्र ही शामिल शामिल किया गया था। बाद में रुड़की, मंगलौर आदि सभी क्षेत्र उत्तराखंड में शामिल किए जाने से त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव के समय में विषमताएं पैदा हो गई। जिससे हरिद्वार जिले में अलग तथा राज्य के अन्य 12 जिलों में एक साथ पंचायती चुनाव संपन्न किए जाने लगे। एक ही राज्य में दोहरी व्यवस्था लोगों में काफी खटक रही थी। किंतु जब केंद्र सरकार की ओर से ही एक देश एक चुनाव की संवैधानिक व्यवस्था लागू करने के प्रयास शुरू किए गए तो इस मुद्दे को बल मिलने लगा। चम्पावत जिले के चारों ब्लॉकों की पहली बार निर्वाचित युवा महिला प्रमुख इस संबंध में एक समान राय रखते हुए इस मुद्दे को लेकर फ्रंट में आ गई है।
लोहाघाट की ब्लॉक प्रमुख नेहा ढेक कहती हैं कि एक राज्य में दो नियम व्यवहारिक नहीं है। पूरे राज्य में एक साथ पंचायती चुनाव कराने के लिए शेष जिलों का कार्यकाल बढ़ाकर एक साथ चुनाव कराए जाएं। जिससे राज्य में एकरूपता व समानता लाई जा सके।
चंपावत की ब्लॉक प्रमुख रेखा देवी कहती है कि हमें पहली बार जन सेवा का अवसर मिला, लेकिन आधा समय तो उनका कोरोना ही निल गया। हमें काम करने का पूरा अवसर ही नहीं मिला। जिसे देखते हुए पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने से राज्य में एक साथ पंचायती चुनाव कराने का मार्ग स्वयं खुल जाएगा।
पूरे राज्य में एक साथ पंचायती चुनावों हो।
बाराकोट की ब्लॉक प्रमुख विनीता फर्त्याल कहती है कि कोरोना के कारण समय की जो बर्बादी हुई उसे आगे बढ़ाते हुए हरिद्वार के साथ पूरे राज्य में एक साथ पंचायती चुनाव कराने के लिए यह सही समय है। हमारी मांग एक दम न्यायोचित है।
एक राज्य एक कानून तो होना ही चाहिए।
पाटी जैसे बड़े ब्लॉक की कम उम्र की ब्लॉक प्रमुख सुमन लता कहती हैं कि कोरोना के कारण तो उन्हें जनता से किए गए वादे भी पूरे करने का समय नहीं मिल पाया। जनप्रतिनिधियों से लोगों की तमाम अपेक्षाएं होती है। पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाएं जाने से एक साथ चुनाव भी होंगे और हमें सेवा का भी अवसर मिलेगा।