वैलेंटाइन- डे कहीं हम सबके कदम विनाश की ओर तो नहीं ले जा रहा है ? यह उस संस्कृति का प्रतीक है जहां लोग रिश्तो में नहीं बने रहते ,क्यों नहीं हम इस दिवस को मातृ- पितृ सम्मान दिवस के रूप में मनाएं मदन महर ।
लोहाघाट। भारतीय समाज में पाश्चात्य संस्कृति की छाया से हमारे सामाजिक नैतिक एवं परंपरागत मूल्य प्रभावित होते जा रहे हैं जिस समाज में नारी को देवी माना जाता है उसके…
