देवीधुरा। मां बाराही की शक्ति एवं उसके उपासकों की माया ही अलग है। हरियाणा के गुड़गांव के पदम् चंद्र अग्रवाल को 16 वर्ष पूर्व बाराही धाम आने का मां का बुलावा आया था। उन्होंने यहां मां के दर्शन कर आजीवन सेवा का संकल्प लिया था। बाराही धाम से लौटते समय उनका कहना था कि अब हम पीढ़ी दर पीढ़ी मां के दरबार की सेवा करते रहेंगे। अग्रवाल के अनंत ज्योति में विलीन होने के बाद उनकी धर्मपत्नी गीता अग्रवाल यहां अपने सेवा कार्यों से लगातार जुड़ी हुई है। दूसरों के चेहरे में खुशी देखकर प्रसन्न रहने वाली गीता अग्रवाल ने अपने चारों बेटों प्रदीप, ललित, देवेंद्र एवं रवि को ऐसे संस्कारों की डोर में बांधा हुआ है कि वह कहीं भी धर्म, कर्म, परोपकार, करने वाली अपनी माताश्री के सदा पीछे खड़े रहते हैं।

बाराही धाम के समीपवर्ती गांव में गरीब बेटियों का विवाह करने, स्कूलों में बच्चों को ड्रेस, सूट, बैग आदि बांटने के साथ शीतकाल में गरीबों को कंबल वितरित किए जाते हैं। बाराही धाम में तीर्थ यात्रियों के रुकने के लिए उनके द्वारा उच्च कोटि के 80 कंबल भी उपलब्ध कराए गए हैं। समय-समय पर यहां होने वाले भंडारे में भी उनका उल्लेखनीय सहयोग रहता है। यहां विगत दिवस उनके द्वारा पांच हजार से अधिक लोगों को एक साथ भंडारे का प्रसाद वितरित कराया गया। गीता गरीबों के लिए बहुत बड़ा सहारा बनी हुई है उनके द्वारा परोपकार के किए जाने वाले कार्यों में मां बाराही के उपासक मदन बोरा उनके इन कार्यों में हाथ बंटाते आ रहे हैं।

By Jeewan Bisht

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