लोहाघाट। गुमदेश के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक, पुरातत्व विभाग के अधीन, आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व कत्यूरी शासन काल में देवलकोट मढ में निर्मित सूर्य मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य जिला पंचायत के माध्यम से आज से शुरू हो रहा है। मान्यता है कि महिषाशुरमर्दनी माँ भगवती का मायका सूर्य मंदिर के पास था। आदिकाल में सूर्य मंदिर के पास एक गुफा भी थी। सूर्य मंदिर में सूर्य प्रतिमा और शिव लिंग भी विराजमान थे जो वर्तमान में मढ के ही भगवती मंदिर में स्थापित हैं। वहीं पर ही आज भी उनकी पूजा अर्चना होती है। पीड़ा शैली में बने सूर्य मंदिर की दीवारों मे लिखे शिलालेखों से ज्ञात होता है कि दक्षिण भारत से भी मंदिर के दर्शन को लोग आते थे। इस स्थान में एक विशेष प्रकार की ध्वनि आज भी सुनाई देती है। इसी सूर्य मंदिर की एक शाखा मंदिर परिसर से कुछ ही दूर पर स्थित पसौली नामक स्थान पर भी विद्यमान है।
ग्रामीणों की लंबे समय से चली आ रही माँग को देखते हुए जिला पंचायत सदस्य प्रीति पाठक ने कला एवं संस्कृति विभाग से मंदिर के संरक्षण एव्ं संवर्धन के लिए 8.00 लाख रु0 की धनराशी स्वीकृत करवाई है।