लोहाघाट (चंपावत)। नेपाल सीमा से लगे मडलक में भैया दूज पर बग्वाली मेला आयोजित किया गया। इसमें चार गांवों से मां भगवती की डोला यात्राएं निकालीं गईं। इस दौरान डोलों में सवार देवडांगरों ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देकर सुख-समृद्धि की कामना की। मेले में शांति व्यवस्था के लिए पुलिस का पुख्ता इंतजाम रहा।
बगोटी, मजपीपल, मडलक और देवीमैत बुंगा से बुधवार को मां भगवती की डोले निकाले गए। सबसे पहले मडलक और सेल्ला गांवों के जत्थों ने मंदिर की परिक्रमा की। उसके बाद यहां के सबसे दूरस्थ गांव बगोटी से देवी के डोले ने मडलक की ओर प्रस्थान किया।
कठिन चढ़ाई के रास्तों को रस्सों के सहारे पार कर बगोटी का डोला मजपीपल पहुंचा। वहां बगोटी और मजपीपल के डोले का संगम हुआ। देवी मैत बुंगा में चार डोलों का समागम हुआ। सागर गांव के सेल्ला परिवार ने मायके वालों की भूमिका निभाई।
मुख्य संरक्षक डॉ. सतीश पांडेय ने बताया कि भैयादूज पर मां वैष्णवी के अपने मायके देवीमैत में भाइयों का पूजन करने आने की मान्यता है। इसमें भारत और नेपाल से श्रद्धालु पूजा के लिए मडलक आते हैं। इस मौके पर पवन कुमार जोशी, शंकर दत्त पांडेय, देव सिंह धौनी, धर्मानंद पांडेय, मान सिंह रावत, अनिल पांडेय, गणेश सिंह बोहरा, दीपक चंद्र जोशी, संतोक रावत आदि मौजूद रहे।
चमदेवल के खड़नौला में भी देवीरथ निकला
लोहाघाट (चंपावत)। भैया दूज पर चमदेवल के जाख खड़नौला गांव के मां भगवती में आस्था का डोला निकला। इसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पूजा की। पुरोहित भास्कर कलौनी ने बुधवार को पूजा कराई। दोपहर बाद गौरा देवी खल में देवडांगरों ने फरियादी गद्दी लगा कर आशीर्वाद दिया। गौरा देवी खल से दुर्गम पहाड़ियों से होकर देवी रथ को मां भगवती मंदिर ले जाया गया।
रथ में सवार मां भगवती के देवडांगर पूरन सिंह सामंत ने आशीर्वाद दिया।
चंपावत के भैया दूज मेले में पसरा रहा सन्नाटा
चंपावत। जिला मुख्यालय में भैया दूज के मेले में सन्नाटा पसरा रहा। पूर्व तक भैया दूज मेले का आयोजन खर्ककार्की के बग्वाली मैदान में किया जाता था लेकिन एक दशक से मेला स्थल बदल देने से बहुत कम लोग मेले में शामिल हुए।