लोहाघाट – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्व प्रसिद्ध अद्वैत आश्रम ,मायावती आगमन पर यहां के लोगों द्वारा ठीक उसी तरह भावात्मक रूप से स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं। जिस प्रकार ठीक आज से 122 वर्ष पूर्व 3 जनवरी, 1901 को स्वामी विवेकानंद जी का इस स्थान में आगमन पर स्वागत किया गया था । उत्तराखंड के लोग पीएम मोदी को राजनेता से अधिक उन्हें ऐसा अवतारी पुरुष मानते हैं जो स्वामी विवेकानंद जी की अवधारणा के अनुसार आधुनिक भारत का निर्माण करने के साथ विश्व कल्याण के लिए ही अवतरित हुए हैं ।सघन वनों के बीच स्थित मायावती आश्रम में प्रायः शांति बनी रहती है ।लेकिन पीएम मोदी के आगमन को लेकर आश्रम को जोड़ने वाले सड़क मार्ग में उनके स्वागत की जोरदार तैयारियां की जा रही है। हर व्यक्ति की इच्छा इस कर्मयोगी प्रधानमंत्री की एक झलक पाकर अपने को धन्य करने की है। आश्रम के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानन्द जी महाराज ने पीएम मोदी के यहां आगमन को महत्वपूर्ण घटना बताते हुए कहा हम सब उस कर्म योगी एवं तपस्वी प्रधानमंत्री का हृदय की गहराइयों से स्वागत करना चाहते हैं । जो स्वामी विवेकानंद जी के विचारों की धवल पताका को विश्व में फहराकर आधुनिक भारत का वैश्विक पटल में परचम लहरा रहे हैं। प्रधानमंत्री का आश्रम में आगमन पर यहां की परंपरा के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्वागत किया जाएगा ।वह उसी कक्ष में ध्यान करेंगे जहां 122 वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानंद जी ने यहां प्रवास के दौरान ध्यान किया थाआश्रम के विद्वान अध्यक्ष ने बताया कि मायावती आश्रम की परिकल्पना स्वामी विवेकानंद जी ने 1896 में स्विट्जरलैंड में आल्प्स पर्वत श्रृंखला को देखने के बाद व्यक्त की थी ।वह उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में ऐसे स्थान में ऐसा आश्रम स्थापित करना चाहते थे जहां से हिमालय की लंबी श्रृंखला दिखने के साथ वह वनों के बीच में हो , जो केवल एवं केवल अद्वैत व वेदांत के लिए समर्पित होगा ।जहां बिना किसी मिलावट के हिंदू सनातन धर्म की मूल अवधारणा को विश्व तक पहुंचाया जा सके ।स्वामी जी की भावनाओं के अनुसार उनके शिष्यों ने ऐसे स्थान की तलाश की ।पहले यहां चाय का बागान हुवा करता था ।जिसे खरीद कर यहां 19 मार्च 1899 को अद्वैत आश्रम मायावती की स्थापना की गयी तथा 3 जनवरी 1901 को स्वामी विवेकानंद जी के चरण पडे तथा 15 दिनों तक प्रवास किया । आश्रम पहुंचने पर अपनी परिकल्पनाओं के अनरूप स्थान पाकर देवीधुरा , खेती खान होते हुए पैदल चलकर आए स्वामी जी की सारी थकान ही मिट गई।
जब पीएम मोदी ने सन्यासी बनने की व्यक्त की थी इच्छा।
लोहाघाट – मायावती आश्रम के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानन्द महाराज ने बताया कि युवावस्था में ही मोदी जी जब राजनीति में नहीं थे उन्होंने श्रीरामकृष्ण मिशन की सेवाओं से प्रभावित होकर राजकोट (गुजरात) के आश्रम में जाकर वहां के अध्यक्ष स्वामी आत्मस्थानन्द से संन्यास ग्रहण करने की इच्छा व्यक्त की थी । वह उन्हें अपना गुरु मानते थे तब स्वामी आत्मास्थानंद ने उन्हें बताया कि •~ ईश्वर ने अन्य बहुत बड़े कामों के लिए भेजा हुआ है । अपने गुरु की बात मानकर मोदी जी ने बाद में देश तथा हिमालय क्षेत्र का भ्रमण कर लोक कल्याण के लिए अपने को पूरी तरह समर्पित कर दिया। आज स्वामी जी की भविष्यवाणी मोदी जी के लिए पूरी तरह साकार हो रही है ।