
चंपावत !विगत कई वर्षों से जनपद चंपावत के चल्थी, व चूका शारदा नदी खनन कार्य करके अपना जीवन यापन कर रहे थे। दिनांक 18/012023 को उत्तराखंड सरकार द्वारा रॉयल्टी में संशोधन किया गया। जिसमें प्रदेश में कुछ नदियों की रॉयल्टी सरकार द्वारा कम कर दि गई। लेकिन वही सरकार द्वारा कराए जाने वाली रिवर ड्रेसिंग नीति 2021 तहत नदी में जमा मलवा /आर.बी. एम/ शिल्ड के निस्तारण की रॉयल्टी में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी की गई है। पूर्व में इस नीति के तहत रॉयल्टी को दो भागों में बांटा गया है।
1-पर्वती क्षेत्र।
2-मैदानी क्षेत्र।
इसका उल्लेख उत्तराखंड खनिज नियमावली 2021 के अध्याय 1 के पैरा 2 के भाग फ व ब में अंकित किया गया है। पर्वती क्षेत्र में रॉयल्टी की दर 3.50 रुपए प्रति कुंटल मैदानी क्षेत्र में 7.00 रुपए प्रति कुंटल ली जा रही थी। पर्वती क्षेत्र की रॉयल्टी की दर कम करने का मुख्य उद्देश्य यह था कि पर्वती क्षेत्र में जिन नदी, नालों से कार्य किया जाता था।
वह क्षेत्र अत्यधिक दुर्गम होने का कारण खनिज को गतव्य स्थल ले जाने में अत्यधिक व्यय होता था। जिस कारण पर्वती क्षेत्र की रॉयल्टी की दर मैदानी क्षेत्र की अपेक्षा आधी थी। बात अगर में चंपावत क्षेत्र के पर्वतीय, व मैदानी क्षेत्र की की जाए तो 2021-2022 में कुल 9.31.770 धन मी. उपखनिज की निकासी की गई। जिसमें मैदानी क्षेत्र से लगभग 2.25.000 धन.मी तथा पर्वती लोहाघाट चल्थी की पनार व सरयू नदी क्षेत्र से लगभग 7.07.770 धन मी. निकासी की गई।
जनपद के जिन पर्वती क्षेत्र में खनन कार्य होता है। वहां के लोगों का जीवन यापन करने का एकमात्र कार्य खनन है। लगभग क्षेत्र के 25000 से 30000 व्यक्ति इस कार्य से जुड़े हैं ।सरकार द्वारा रॉयल्टी में बढ़ोत्तरी करने के कारण हम सभी के द्वारा कार्य करना संभव नहीं है। कार्य ना होने की दशा में हम सभी लोगों को रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार की होगी। रॉयल्टी की दरों में पुनर्विचार कर पूर्व की भांति करने के लिए चंपावत मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में नोडल अधिकारी केदार सिंह बृजवाल के माध्यम से समस्त खनन कारोबारियों द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन।
