चंपावत । मानसरोवर तीर्थ यात्रियों को मानसखंड के अनुसार चंपावत, पिथौरागढ़ जिलों से संचालित किए जाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से मॉडल जिले को नए आयाम मिले हैं। मां पूर्णागिरि की चरणस्थली टनकपुर से जिले की शुरू होने वाली इस तीर्थ यात्रा में श्रद्धालुओं को चंपावत में बालेश्वर, मानेश्वर एवं लोहाघाट के रिश्वेश्वर महादेव के दर्शन कराए जाएं तो उन्हें पग पग में भगवान शंकर के विराजमान होने की अनुभूति होगी। मानसखंड में तो मानसरोवर तीर्थ यात्रियों के रिश्वेश्वर महादेव मंदिर में विश्राम कर सुबह सरस्वती नदी में स्नान कर यात्रा शुरू करने का वर्णन मिलता है।
लोहाघाट एवं चंपावत के मध्य स्थित मुख्य सड़क मार्ग से लगभग 500 मी. दूर मानेश्वर महादेव के दर्शन एवं यहां मानसरोवर के जल का अभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है। पुराणों के अनुसार जब पांडव उत्तराखंड की यात्रा के दौरान इस स्थान में रुके थे तो युधिष्ठिर को पिता के श्राद्ध के लिए मानसरोवर जाना था, लेकिन मौसम की खराबी के कारण वह वहां नहीं जा सके। अपने अग्रज की चिंता को देखते हुए अर्जुन ने उस स्थान में मानसरोवर के जल का आवाहन करते हुए जमीन में तीर छोड़ा तो वहां से जलधारा फूट पड़ी। इसी जल से युधिष्ठिर ने पिताश्री का श्राद्ध किया था तब से इस स्थान को मानेश्वर कहा जाने लगा। पुराणों के जानकार आचार्य प्रकाश कृष्ण शास्त्री का कहना है कि मानसरोवर तीर्थ यात्रियों के लिए आगामी वर्ष से भगवान शिव की सप्तकोशी परिक्रमा यात्रा को भी शामिल किए जाने से जिले में नए धार्मिक स्थलों को रोशनी मिलेगी। इस कार्य के लिए अभी से रोड मैप तैयार किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि जिलाधिकारी मनीष कुमार द्वारा जिस प्रकार जिले के तीर्थ स्थलों को रोशनी देने का प्रयास किया जा रहा है, लगता है ईश्वर ने यह सब कार्य उन्हीं के हाथों से कराने के लिए उन्हें निम्मित बनाया है।

By Jeewan Bisht

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