लोहाघाट। स्वामी विवेकानंद जी भले ही 39 वर्ष की अल्पायु में ही समादिष्ट हो गए थे किंतु वह मानव कल्याण एवं युवाओं के लिए विरासत में ऐसा ज्ञान व दर्शन दे गए हैं, जो आने वाले हजारों वर्षों तक उन्हें तेजस्वी ओजस्वी बनाने के मार्ग में ले जाने के लिए ज्योतिपुंज का कार्य करेगा। यह विचार अद्वैत आश्रम मायावती के 125वे स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित युवा सम्मेलन में वक्ताओं ने व्यक्त किए। स्वामी जी के विचारों की शक्ति से पटना के एक गरीब परिवार में जन्मे शरद विवेक सागर ने किस प्रकार वह अंतरराष्ट्रीय कंपनी के सीईओ बनकर आज दूसरों के लिए सहारा बने हुए हैं, ने अपनी वक्तृता में सफलता की कहानी सुना कर युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा स्वामी जी मानते थे की दृढ़ निश्चयी, चट्टानी इरादा रखने एवं आत्मविश्वासी 100 युवा ही देश व समाज की तस्वीर बदलने में सक्षम है। मैंने इसी भावधारा से प्रेरित होकर अपना यौवन इसी मार्ग में लगाकर सफलता के शिखर तक पहुंचाने का प्रयास किया है। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए आश्रम के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानंद जी ने सभी युवाओं का स्वागत करते हुए युवा स्वामी विवेकानंद जी का उदाहरण दिया कि उन्होंने युवावस्था में ही जो कार्य कर भारत को परम वैभवशाली बनाने की नींव रख गए हैं, उसके आगे का कार्य आज के युवाओं को करना है, जिन्हें स्वयं की शक्ति पहचान कर आत्मविश्वासी बनना है। युवा सम्मेलन में लगभग 15 विद्यालयों व महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। संचालन कोलकाता से आए स्वामी कविशानंद (हरि) महाराज ने किया।
व्यक्तित्व विकास से चरित्र निर्माण कर राष्ट्र निर्माण करने पर जोर देते हुए विवेकानंद विश्वविद्यालय के उप कुलपति स्वामी आत्मप्रियानंद ने दावा किया कि युवाओं को अपने प्रत्येक कदम के साथ स्वामी जी के विचारों को आत्मसात कर ऐसे समृद्ध व शक्तिशाली भारत का निर्माण करना है जहां का प्रत्येक नागरिक एक दूसरे का पूरक बन सके। कानपुर आश्रम के सचिव स्वामी आत्मश्रद्धानंद ने युवाओं को उनकी शक्ति का एहसास करते हुए कहा कि जिस प्रकार नदी की तेज धारा सभी बाधाओं को दूर कर अपना रास्ता स्वयं तय करती है, ठीक उसी प्रकार आत्मविश्वासी, दृढ़निश्चयी युवक अपनी संकल्प शक्ति के बल पर सभी बाधाओं को दूर कर उस स्थान में अवस्थित हो सकते हैं, जहां की उन्होंने कल्पना नहीं की थी । स्वामी ध्यानास्थानंद ने ऐसे कई उदाहरण दिए जहां युवकों ने स्वामी जी के आदर्शों की शक्ति व लगन के साथ गगन को छू लिया है। विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक पत्रिका “प्रबुद्ध भारत” के संपादक स्वामी गुणोत्तरानंद जी ने कहा वह जीवन नहीं है जिसमें हम अपने लिए जीते हैं, मनुष्य जीवन की सार्थकता यह है कि हम में दूसरों की खुशी में अपनी खुशी देखने की प्रवृत्ति हो। युवाओं को साथ लेकर आए स्वामी विवेकानंद राजकीय पीजी कॉलेज के डॉ प्रकाश लखेड़ा का कहना था कि युवाओं का यह सम्मेलन उनमें नई सोच, उमंग, तरंग एवं आत्मविश्वास पैदा करने के साथ उनके भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर गया है।

By Jeewan Bisht

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