चंपावत।आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सा से कोरोना महामारी के दौरान लोगों का सीधा संबंध स्थापित होने के बाद जहां दोनों पैथियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है वहीं लोग एलोपैथिक चिकित्सा से छुटकारा पाकर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी की निरापद चिकित्सा अपनाने में काफी रुचि लेते आ रहे हैं। होम्योपैथिक चिकित्सा के लिए जिले में मात्र तीन चिकित्सालय हैं जबकि आयुर्वेद के 25 चिकित्सालय हैं।इस बीच केंद्र और राज्य सरकार के आयुर्वेदिक चिकित्सा विभाग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा का व्यापक प्रचार -प्रसार एवं उन महत्वपूर्ण जड़ी बूटियां की जानकारी देकर उनका औषधीय महत्व बताया जा रहा है जिन्हें जानकारी के अभाव में पैरों से कुचला जाता है। इस अभियान में पूरा आयुर्वेद चिकित्सा विभाग जिले के सभी राजकीय प्राथमिक जूनियर हाई स्कूल एवं इंटर कॉलेज में शिविर लगाकर वहां गिलोय, एलोवेरा, शतावर, दालचीनी, तिमूर आदि के पौधे भी लगाकर गोमूत्र ,लहसुन, धनिया, लॉन्ग, जायफल आदि तमाम ऐसी चीजों की जानकारी दे रहे हैं जो हमारे घरों में तो उपलब्ध हैं किंतु लोगों को उनके औषधी गुणों की जानकारी नहीं है। इस दौरान स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है तथा निशुल्क साहित्य वितरित कर आरोग्य पाने के लिए योग -प्राणायाम, सात्विक भोजन, नियमित दिनचर्या, प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करने, प्रकृति से आत्मसात कर जीवन बिताने के प्रति जागरूकता पैदा की जा रही है।
जिला आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ आनंद सिंह के दिशा निर्देशन एवं नोडल अधिकारी, डॉ सुधाकर गंगवार के नेतृत्व में शिविरों का संचालन शुरू हो गया है। जिसकी शुरुआत जीजीआईसी चंपावत से की गई। जिले में विभाग द्वारा 119 शिविर आयोजित करने हैं जिसमें सात शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। इन शिवरों में स्वयं विद्यालय के शिक्षक भी काफी रुचि ले रहे हैं तथा उम्र दराज शिक्षक आयुर्वेद के विषय में अपना अनुभव भी साझा कर रहे हैं विभाग द्वारा ऐसे समय में औषधीय पौधों का रोपण किया जा रहा है जिसके लिए यह मौसम अनुकूल नहीं है जिसे देखते हुए लोगों का कहना है कि पौधों का रोपण ऐसे समय किया जाए जब इसके लिए परिस्थितियों अनुकूल होती हैं।