श्रीरीठा साहिब। दुनिया में ऐसा कोई चमत्कार देखना है, जहां अध्यात्मिक शक्ति के बल पर जन्मजात कड़वे रीठे में मिठास आ गई हो। यह दिव्य एवं पावन स्थल है लोहाघाट से 60 किलोमीटर एवं टनकपुर से 150 किलोमीटर दूर श्रीरीठा साहिब नाम का स्थान है जहां गुरु नानक देव महाराज ने अपनी चौथी उदासी के दौरान यानी 1505 में अपनी देवभूमि की यात्रा के दौरान इस स्थान में सिद्धों को सत्संग के दौरान उनके शिष्य मर्दाना को जब भूख का एहसास हुआ तो गुरु ने उन्हें रीठे के पेड़ की ओर अंगुलियां लगाते हुए खाने को कहा तो मर्दाना के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा की जब कड़वे रीठे में छुहारे के समान मिठास आ गई। तबसे इस स्थान को श्रीरीठा साहिब कहा जाने लगा। आज कार सेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की देखरेख में बाबा श्याम सिंह द्वारा पिछले 24 वर्षों में यहां का कायाकल्प किया गया है। यहां शुरू से ही रीठे को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। एक छोटे से स्थान में वर्ष 1960 में बना गुरुद्वारा आज विशाल प्रांगण में फैल चुका है, जो देश विदेश के तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर खींचते जा रहा है। जिन व्यक्तियों को गुरु घर में हुए इस चमत्कार की जानकारी मिलती है वह दौड़े-दौड़े इस चमत्कार को नमस्कार करने के लिए आ जाते हैं। आज इस स्थान की दूरी हल्द्वानी से मात्र 85 किलोमीटर तथा टनकपुर से 75 किलोमीटर ही रह गई है। हालांकि अभी इस सड़क का सुधारीकरण का कार्य चल रहा है। पहले यहां तीर्थयात्री पैदल आया करते थे अब चारों ओर से सड़कों के विस्तार के कारण यह यात्रा आसान हो गई है। वर्षभर यहां देश विदेश के तीर्थ यात्रियों की आवाजाही रहती है। यदि दिल्ली आदि स्थानों से यहां हैली सेवा शुरू की जाए तो कम से कम दर्जनों सेवाएं दिनभर चलेंगी।
यहां तीर्थ यात्रियों की भारी भीड़ के कारण अब पार्किंग आवास, यात्रियों के मनोरंजन आदि तमाम सुविधाओं का अभाव खटकने लगा है। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा यहां का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है तथा पार्किंग आदि की स्वीकृति दी जा चुकी है। यदि लधिया नदी में पुल का निर्माण किया जाता है तो इससे हल्द्वानी से आने वाले तीर्थ यात्रियों की 9 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। यहां के गुरुद्वारे में स्वर्गीय राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह समेत 1971 के भारत-पाक युद्ध के महा योद्धा जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा उत्तराखंड के राज्यपाल आदि तमाम बड़ी हस्तियां यहां मत्था टेककर कर अपना जीवन धन्य कर चुके हैं। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा यहां लगातार आवासीय सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
गुरुद्वारे में दो जून से शुरू होने वाले तीन दिनी जोड़ मिले की व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। यहां तीर्थ यात्रियों के आने का क्रम शुरू हो गया है। मेले में लाखों लोगों के आने की संभावना है। मेले की व्यवस्थाओं के लिए यहां कार सेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह यहां पहुंच चुके हैं। सीएम पुष्कर धामी 3 जून को यहां देश विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों का स्वागत करेंगे। यहां विभिन्न विभागों द्वारा तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधाएं जुटाने का कार्य युद्ध स्तर पर क्या जा रहा है। सिंचाई विभाग द्वारा लधिया नदी में अस्थाई पुल व स्नान घाट का निर्माण किया जा चुका है।