चंपावत। जिले के अधिकांश राजकीय हाईस्कूल एवं इंटर कॉलेज का सत प्रतिशत परीक्षा पर इस बात का गवाह है कि यहां अतिथि शिक्षकों को जो कार्य सौपा गया था, उसमें वह पूरी तरह सफल रहे हैं। इसी के साथ अतिथि शिक्षकों द्वारा समान कार्य के लिए समान वेतन देने की मांग को भी बल मिलने लगा है। जिले के अधिकांश विद्यालयों का पूरा दारोमदार अतिथि शिक्षकों पर ही टिका हुआ है। जिले के रौसाल, मडलक, विविल, दूय्यूरी, पाली, कामाजूला, टांण मछियाण, डांडा ककनई क्षेत्र के ऐसे विद्यालय हैं जहां जिले के ही नहीं बल्कि बाहरी जिलों के अतिथि शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिन्हें रेगुलर शिक्षकों की तुलना में कहीं कम मानदेय मिलता है। इन शिक्षकों को लंबे समय से उत्कृष्ट शिक्षण कार्य करने का इतना व्यवहारिक ज्ञान हो गया है कि इन्हें किसी अन्य प्रशिक्षण की जरूरत ही नहीं है। माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष सुभाष गोस्वामी के अनुसार अतिथि शिक्षकों की विशिष्ट सेवाओं को देखते हुए उन्हें नियमित किए जाने की दिशा में पहल की जानी चाहिए।

लोहाघाट। क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी का कहना है कि वह अतिथि शिक्षकों के कार्यों को नजदीक से देखते आ रहे हैं। उनकी सेवाओं से प्रभावित होकर स्वयं आज ग्रामीण क्षेत्र के लोग इन्हें राजकीय शिक्षक घोषित करने की मांग कर रहे हैं। यह पहली बार देखने को मिला है कि अतिथि शिक्षकों की कार्य संस्कृति से लोग इतने प्रभावित हुए हैं कि वह उनके बेहतरी जीवन के बारे में सोचने लगे हैं।

By Jeewan Bisht

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