लोहाघाट। स्वामी विवेकानंद राजकीय पीजी कॉलेज के छात्र रहे डा0 रंजीत मेहता पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ़ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल एवं सीईओ बन गए हैं। यह उत्तराखंड के पहले व्यक्ति हैं जिन्हें इस शीर्ष पर पहुंचने का सौभाग्य मिला है। वर्ष 1982 में डा0 मेहता ने वाणिज्य स्नातक के रूप में इस महाविद्यालय से विश्वविद्यालय स्तर पर गोल्ड मैंडल हासिल किया था। तत्कालीन वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष एवं उच्च शिक्षा निदेशक के पद से हाल ही में सेवा निवृत हुए डा0सीडी सूंठा डा0 मेहता की प्रतिभा को निखारने में उल्लेखनीय सहयोग दिया था । इसी कारण डा0मेहता आज भी अपने गुरु के लगातार संपर्क में रहते हैं। बाद में डीएसबी कैंपस नैनीताल से एमकॉम में भी गोल्ड मैडल प्राप्त किया।वास्तु शास्त्र से पीएचडी एवं अवस्थपना सुविधाओं के विशेषज्ञ डा0 मेहता भारत सरकार की नीति आयोग द्वारा प्रकाशित पत्रिका “योजना” में उच्च स्तरीय आलेख लिखते आ रहे हैं। डा0 मेहता ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, अमेरिका इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम में प्रबंधन एवं शोधकर कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। जीवन के साठ बसंत देख चुके डॉ मेहता को ग्लोबल कॉरपोरेट लीडरशिप का 34 वर्षों का गहन अनुभव रहा है तथा कई पॉलिसी की नवाचारी पहल कर इंडस्ट्रियल ग्रोथ एंड स्टार्टअप पर उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं ।
डा0मेहता की उपलब्धि पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा राज्यसेतु आयोग के उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी, रेलवे कॉरिडोर के प्रबंध निदेशक हीराबल्लभ जोशी, विधायक खुशाल सिंह अधिकारी, जिला अधिकारी नवनीत पांडे, राजकीय पीजी कॉलेज की प्राचार्य डा0 संगीता गुप्ता तथा महाविद्यालय परिवार समेत उनके पैतृक गांव के वयोवृद्ध शिक्षक मोती सिंह मेहता कैप्टन एलएस मेहता,जगत मेहता आनंद मेहता, कल्याण मेहता, राकेश मेहता, शिक्षक लक्ष्मण सिंह मेहता, खीम सिंह मेहता, वीरेंद्र मेहता, खुशाल सिंह मेहता, गोविंद सिंह , होशियार सिंह,धन सिंह,आदि अनेक लोगों ने उन्हें बधाई दी है उनके गांव के लोगों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया है।

कौन है डा0 रंजीत मेहता?

बाराकोट ब्लाक अंतर्गत नौगांव र्रेगडू के चाक मेहता गांव के स्वoधर्म सिंह मेहता, कुंती देवी के कनिष्ठ पुत्र डा0 jरंजीत मेहता को बचपन से ही गगन छूने की लगन रही थी । उसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। उस वक्त यहां अंग्रेजी माध्यम के स्कूल नहीं हुआ करते थे तो वह अपने गांव से पैदल एबटमाउंट जाकर एबटमाउंट में रह रहे देश विदेश के विशिष्ट लोगों से संपर्क कर उनसे अंग्रेजी स्पीकिंग सीखा करते थे ।इनकी लगन को देख सभी इनसे प्रभावित हुआ करते थे। सामान्य परिवार से इतने ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के लिए दिन रात परिश्रम किया।उन्हें पढ़ाई के लिए रोज अपने गांव से लोहाघाट आने जाने में 22 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता था। इनके अग्रज मेजर राजेंद्र सिंह मेहता रिटायर्ड सैन्य अधिकारी है ।उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उस वक्त महाविद्यालय परिवार इन पर गर्व किया करता था ।

By Jeewan Bisht

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