लोहाघाट। किमतोली के समीप प्रसिद्ध कालेसन मंदिर में चल रहे देवी महोत्सव में रविवार को निकलने वाली भव्य डोला यात्रा से पूर्व यहाँ लोक देवताओं को जागृत किया गया भव्य शोभायात्रा से पूर्व मंदिर परिसर में विशेष स्वच्छता अभियान संचालित कर यहाँ स्मृति पौध लगाए गए। यहाँ महोत्सव की शुरुआत के बाद प्रतिवर्ष देवी के वन क्षेत्र में लगातार वृद्धि की जाती रही है कालेसन मंदिर के प्रति यहाँ के लोगों की अनादिकाल से आस्था व विश्वास बना हुआ है। पुराणों के अनुसार महाभारत काल में वर्तमान देवीधार क्षेत्र में सर्पाकार दैत्य ने आतंक मचाया हुआ था, जिससे दुखी होकर भक्त यहाँ से पलायन कर देवी की शरण में जाने लगे तब माता भगवती अपने भक्तों के कष्ट निवारण के लिए देवतीर्थ नैमिषारण्य से पुष्पक विमान में आरूण होकर जगत् जननी माँ यहाँ पहुँची तथा उन्होंने अपनी तलवार से सर्पाकार दैत्य के कई टुकड़े कर दिए, जिसके अवशेष आज भी देवीधार के आस पास देखे जा सकते हैं उसके बाद महामाया माँ इसी कालेसन मंदिर में भक्तों की सदा रक्षा के लिए यहीं विराजमान हो गयीं।
महोत्सव में शामिल होने के लिए कुमाऊँ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ० एल एम जोशी प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी माँ भगवती का आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ पहुँच चुके हैं। आज यहाँ मंदिर में जमान की परिक्रमा की गई। सुबह से यहाँ महिलाओं द्वारा विश्व कल्याण के लिए देवी पाठ एवं भजन कीर्तन के अलावा झोड़ों का गायन किया गया। यहाँ बाजे गाजों के साथ लोक देवताओं को जागृत किया गया, जिसमें मेले के मुख्य संयोजक डॉ० सुधाकर जोशी में माँ भगवती, दीप जोशी में महाकाली व कालेसन देवता, नरेश पाण्डे में गोरल देवता, कैलाश जोशी में कटारीमल, प्रमोद जोशी में सिद्ध बाबा, हिमांशु जोशी में अध्यावीर, प्रकाश जोशी में भूमिदार बाबा, प्रदीप जोशी में काल कैल बाबा, निक्कू जोशी एवं रामू जोशी में सिद्ध बाबा तथा गणेश पाण्डेय व महेश पांडे में पंचबलिया देवता अवतरित हुए। रविवार को सुबह सभी लोक देवता गंगा स्नान करने के बाद भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए इनकी गद्दी लगेगी जिसमें बड़ी संख्या में समीपवर्ती गाँवों के लोग शामिल होते हैं। इस महोत्सव को भव्य व दिव्य बनाने में कनेड़ी गाँव समेत समीपवर्ती गाँवों के लोग श्रद्धा भाव से जुटे हुए हैं।
