लोहाघाट। इसे व्यवस्था का दोष कहें या अधिकारियों की दूरदर्शिता? ग्रामीण क्षेत्र का राजकीय प्राथमिक विद्यालय मानाढुंगा ऐसा विद्यालय है, जहां शिक्षकों के व्यक्तिगत प्रयासों से इस विद्यालय ने पब्लिक स्कूलों को मात दे रखी है। शिक्षकों के इस प्रयास के बाद समीप में ही चल रहा पब्लिक स्कूल बंद होकर वहा के बच्चे यहां आकर पढ़ने लगे। विद्यालय में 62 बच्चे अध्ययन करते हैं। इनका अनुशासन, शिक्षा का स्तर एवं अन्यान्य शैक्षिक गतिविधियों को देखने से शिक्षकों का परिश्रम स्वयं झलकने लगता है। इस विद्यालय को 2015 में मॉडल स्कूल का दर्जा दिया गया था। तब से यहां हिंदी शिक्षक का अभाव बना हुआ है। गुजरे डेढ़ माह पूर्व यहां से गणित विषय के अध्यापक का भी स्थानांतरण कर दिया गया, जिनका विद्यालय की व्यवस्थाओं को बनाने में उल्लेखनीय सहयोग रहा था। अब विद्यालय में केवल प्रधानाध्यापक समेत चार शिक्षक कार्यरत हैं । स्थानांतरित शिक्षक के स्थान पर नए शिक्षक की तैनाती के लिए विद्यालय समेत यहां के अभिभावकों के द्वारा लगातार विभाग के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया जाता रहा है, लेकिन इसपर कोई ध्यान न दिए जाने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। यहां के शिक्षकों के ही प्रयासों से विद्यालय की गिनती जिले के वास्तविक रूप से आदर्श विद्यालय में होती है। इसका दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि इस विद्यालय को आदर्श स्वरूप बनाने में शिक्षा विभाग के अधिकारी ही रोड़े अटका रहे हैं , जिसको लेकर लोगों में न केवल रोष व्याप्त है बल्कि बनी बनाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है।