देवीधुरा।बगवाल खेलने वालों को एक माह पूर्व से ही अपने खान-पान आचार विचार शुद्ध रखने पड़ते हैं। घर में सबसे पहले उन्हें ही सात्विक भोजन कराया जाता है। बगवाली वीर घर से रवाना होते समय उन्हें उनकी मां अपना दूध पिलाकर आशीर्वाद देती है। बगवाल मेले के दौरान घरों में तवा देखना अपशगुन माना जाता है। इस दौरान घरों में विशेष सफाई की जाती है। बगवाल में भाग लेने वाले लोग अपने घरों से अलग वस्त्र ले जाते हैं। चारों खामो के लिए अलग- अलग वस्त्र होते हैं। बगवाल मैदान में कोई भी वीर किसी को निशाना बनाकर पत्थर नहीं मारते हैं। बगवाल के दिन खाम के मुखिया के पीछे ही सभी लोग चलते हैं उन्हें अपना सेनापति माना जाता है, यदि बगवाल के दिन किसी खाम के व्यक्ति की मृत्यु होती है तो बगवाल खेलने के बाद ही उसका अंतिम संस्कार किया जाता है ।