लोहाघाट। लधियाघाटी में तमाम ऐसे गुदरी के लाल छिपे हुए है जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर ऊंचा मुकाम हासिल कर न केवल घाटी का नाम रोशन किया हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की युवकों को प्रेरणा दी है कि कठोर मेहनत करने के बाद सफलता स्वयं मार्ग तय कर देती है। डा अश्वनी की प्रारंभिक शिक्षा शिशु मंदिर पाटी, इंटर तक की शिक्षा लोहाघाट जीआईसी,पौड़ी इंजेयरिंग कालेज से बी ई , पंतनगर से एमटेक, आईआईटी रुड़की से पीएचडी,की है । डा आर्य ने आरएएफ एंड माइक्रोवेव के क्षेत्र मैं अनुसंधान करने के साथ विभिन्न देशों में अनुसंधान में प्रेजेंटेशन भी किया है। साउथ कोरिया में आईईई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में इन्हें बेस्ट पेपर अवार्ड भी मिल चुका है। इस अनुसंधान में इन्होंने रेलवे और रेलवे नेटवर्क 5G सेवा से कैसे कनेक्ट किया जा सकता है।साथ में कंपैक्ट डिवाइसेज पर एंटीनास, जो की एक बेसिक कंपोनेंट होता है, के बारे मैं अपनी रिसर्च प्रकाशित की है । साउथ कोरिया के कोरिया इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी मैं दो वर्ष की सेवा देने के बाद इन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय में ढाई साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम किया। रिसर्च की लगन के कारण यह पुनः4 वर्ष के लिए साउथ कोरिया में रिसर्च प्रोफेसर के पद पर चले गए इसके बाद इनका जेएनयू मैं एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर चयन हो गया। डॉ अश्वनी रिटायर्ड प्रधानाचार्य तिलोक राम आर्य के पुत्र हैं। इनकी पत्नी निशा पेशे से एकेडमिक्स है।तथा देहरादून , द्वाराहाट एवं पिथौरागढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के के पद पर कार्य कर चुकी है। डॉ अश्विनी ने अपनी सफलता का श्रेय सभी गुरुजनों माता-पिता ,पत्नी को दिया है। इनकी सफलता पर सीएम पुष्कर धामी सांसद अजय टम्टा विधायक खुशाल सिंह अधिकारी समेत क्षेत्र तमाम लोगों ने इन्हे अपनी शुभकामनाएं दी है ।

By Jeewan Bisht

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