दिनांक 11 जून, 2025 को पिथौरागढ़ स्थित 55वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल के प्रांगण में जिला सहकारी मत्स्य विकास एवं विपणन फेडरेशन, मत्स्य विभाग, पिथौरागढ़ के सहयोग से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर सशस्त्र सीमा बल के वीर जवानों हेतु ताजा ट्राउट मछली आपूर्ति अभियान का विधिवत शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी विनोद गिरी गोस्वामी (भा.प्र.से.) का स्वागत कमांडेंट आशीष कुमार, 55वीं वाहिनी द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया। तत्पश्चात जिलाधिकारी गोस्वामी, कमांडेंट आशीष कुमार एवं मुख्य विकास अधिकारी दीपक सैनी (भा.प्र.से.) द्वारा वाहिनी परिसर में वृक्षारोपण भी किया गया। यह पहल पर्यावरण संरक्षण एवं हरित वातावरण के प्रति सशस्त्र सीमा बल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
कार्यक्रम में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीगण, अधीनस्थ अधिकारी, सशस्त्र बल के जवान, एवं पत्रकारगण भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर जवानों को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी गोस्वामी ने कहा:
“यह पहल प्रशासन और सशस्त्र बल दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सीमांत क्षेत्रों में उत्पादित ट्राउट मछली की स्थानीय आपूर्ति न केवल जवानों के पोषण स्तर को बेहतर बनाएगी, बल्कि इससे सीमावर्ती गांवों में मत्स्य पालन कर रहे किसानों को भी प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिलेगा। यह प्रयास ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देगा और पलायन की समस्या को कम करने में भी सहायक सिद्ध होगा।”
जिलाधिकारी ने आगे कहा कि “प्रशासन द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि पिथौरागढ़ के पारंपरिक उत्पादों – जैसे स्थानीय दालें, हस्तशिल्प, जड़ी-बूटियाँ इत्यादि को केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार में विक्रय हेतु स्थान प्रदान किया जाए। इससे न केवल इन उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी, बल्कि जिले के युवाओं और शिल्पकारों के लिए स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के नए द्वार भी खुलेंगे”।
कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी एवं कमांडेंट ने संयुक्त रूप से ट्राउट आपूर्ति वाहन को हरी झंडी दिखाकर इस अभियान का औपचारिक शुभारंभ किया। इस वाहन के माध्यम से जवानों को समय पर उच्च गुणवत्ता वाली ताजा ट्राउट मछली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
यह आयोजन स्थानीय उत्पादों के संवर्धन, आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण, और सीमांत क्षेत्रों में सेवा दे रहे सशस्त्र बल के जवानों के पोषण एवं मनोबल वृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है।
