
लोहाघाट। युगावतार श्री रामकृष्ण परमहंस एवं स्वामी विवेकानंद का मिलन पौराणिक ज्ञान एवं आधुनिक ज्ञान विज्ञान का एक ऐसा समागम था जिसने दुनिया को यह संदेश दिया कि भले ही हमारी उपासना की पद्धति कुछ भी रही हो जिस प्रकार सभी नदी नाले अंततः समुद्र में विलीन हो जाते हैं ठीक उसी प्रकार हम ईश्वर के निकट पहुंचते हैं। यह बात अद्वैत आश्रम मायावती में श्री रामकृष्ण देव की 188 वी जयंती के अवसर पर यहां आयोजित विचार गोष्ठी में विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक पत्रिका प्रवुद्ध भारत के सब एडिटर स्वामी शांत चिंतानंद ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा श्री राम कृष्णा देव ने अपनी श्रद्धा एवं भक्ति के बल पर मां काली के साक्षात दर्शन किए तथा जीवनसंगिनी के रूप में उन्हें शारदा जी जैसी विलक्षण महिला मिली जिन्होंने उन्हें मायामोह में न बांध कर धर्मपथ में उनके साथ परछाई की तरह चलने लगी। जिन्हें बाद में जगत जननी कहा जाने लगा। उन्होंने कहा श्री रामकृष्ण परमहंस महिला में साक्षात देवी के दर्शन किया करते थे ।उनका मानना था कि नारी स्वरूपा देवी के अपमान के कारण ही भारत देश का पतन होता रहा है। विषय वस्तु या व्यक्ति में स्थाई आनंद एवं लक्ष्य प्राप्ति का साधन नहीं बन सकती।जब तक हम अपनी दृष्टि से सृष्टि को देखेंगे तो हमें नर में नारायण के स्वयं दर्शन होने लगेंगे।इसी नर की नारायण की तरह सेवा करने के लिए ही श्री रामकृष्ण परमहंस महाराज ने दुनिया को संदेश दिया था।
इस अवसर पर आश्रम के प्रबंधक स्वामी सुहृदयानंद, चिकित्सालय के प्रभारी स्वामी एक देवानंद, स्वामी एक विदानंद एवं स्वामी मधुरानंद ने सभी को अपना आशीर्वाद दिया।इस मौके पर यहां भंडारा आयोजित किया गया ।जिसमें स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक अवनीत पांडे,पूर्व डीजीसी अमरनाथ वर्मा, डॉ प्रकाश लखेडा,कीर्ति बगौली, शशांक पांडे ,एबी मुरारी,कैलाश खर्कवाल, सीता देव,देवकी फर्त्याल, राजकीय प्राथमिक विद्यालय फोर्ती के सभी छात्रों के अलावा निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के श्रद्धालु शामिल थे। मालूम हो कि अद्वैत आश्रम मायावती वह दिव्य स्थल है जहां स्वामी विवेकानंद जी ने यहां वर्ष 1901में 3 जनवरी से 17जनवरी तक प्रवास किया था तब से यह यह स्थल दिव्य हो गया है।
