लोहाघाट। लधियाघाटी क्षेत्र में विगत दिवस बादल फटने के बाद मची तबाही ने लोगों को वर्ष 1993 में सितंबर 11-12 तारीख में हुई भारी तबाही से हुए नुकसान की यादें तरो ताजा कर दी है। उस दौरान पाटी ब्लॉक में 49 पुलो में से 47 पुल बह गए थे। तब रीठा साहिब गुरुद्वारा के पास बने झूला पुल के ऊपर से पानी बहने लगा था। विगत दिवस यहां बादल फटने से प्रकृति ने अपना रोद्र रूप दिखाकर इस क्षेत्र का भूगोल ही बदल दिया है। उपजाऊ खेतों में बड़े-बड़े नाले बन गए हैं। यहां लोगों के लिए पेयजल का गंभीर संकट पैदा हो गया है। शीला देवी मंदिर को जोड़ने, मडियोली, गहरी मछियाण के पैदल पुल बह गए हैं। यहां ज्योसुडा, भंडारी मछियाण, बमेडा, गैरीमछियाण आदि गांव की पेयजल योजनाएं भूस्खलन की चपेट में आ गई है। दो मोटरसाइकिले पानी के तेज बहाव में बह गई। जिसमें एक मोटरसाइकिल का हैंडल दिखाई देने के बाद उसे मलवे से निकाल गया। लेकिन दूसरी मोटरसाइकिल का कोई आता पता नहीं है। गैरीमछियाण में पैदल पुल बहने से लोगों का आर पार जाना मुश्किल हो गया है। बादल फटने की घटना के बाद यहां सबसे पहले पहुंचने वालों में रीठा साहिब के थानेदार कमलेश भट्ट थे जिन्होंने क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा की जानकारी जिला प्रशासन व संबंधित संबंधित विभागों को दी तथा राहत व बचाव कार्य में पुलिस ने हाथ बंटाया।
मछियाण के ग्राम प्रधान भुवन राम के अनुसार गैरीमछियाण के ऊपर बांध की आकृति बन गई थी जिसके ऊपर पेड़ गिरने से सारा पानी तबाही मचाते हुए निकल गया। लोक निर्माण विभाग के ईई एमसी पलडिया के अनुसार सुखीढंग से सड़क खोलने का कार्य शुरू कर दिया गया है। एक स्थान में पूरी सड़क ही बहने से काफी दिक्कतें आ रही है। मछियाण गांव में नौली गधेरे ने अपनी धारा बदलकर नौली गांव की ओर कर दी है। टाण के प्रधान चंद्रशेखर गडकोटी के अनुसार तुशेरा पानी से रथखाल पेयजल योजना के कई स्थानों में पाइप मलवे में दबने से यहां दो दर्जन परिवारों के सामने गंभीर जल संकट पैदा हो गया है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से क्षति की भरपाई करने की मांग की है। जिलाधिकारी नवनीत पांडे के अनुसार प्रभावित क्षेत्र में जन जीवन सामान्य करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। सड़क मार्ग खोलने के बाद राहत कार्य मे तेजी आएगी।