लोहाघाट। कृषि विज्ञान केंद्र में पंतगनगर कृषि विश्वविद्यालय की 12वीं प्रसार सलाहकार समिति की दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हो गई है। मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति डा एम एस चौहान एवं विशिष्ट अतिथि आईटीबीपी के कमांडेंट डी पी एस रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला में मेजबान जनपद समेत देहरादून, चमोली,हरिद्वार,अल्मोड़ा, काशीपुर,नैनीताल समेट निदेशक प्रसार डा जितेंद्र क्वात्रा, डा अलकंदा अशोक, डा एम एस पाल, डा संदीप अरोड़ा, अवधेश कुमार, डा स्नेहा दोहरे आदि लोग भाग ले रहे हैं। कार्यशाला में वैज्ञानिकों द्वारा पर्वतीय खेती के मौजूदा स्वरूप को देखते हुए किस प्रकार वैज्ञानिक एवं तकनीकी सोच से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं। इस पर अपने अनुभव साझा किए गए। कमांडेंट डी पी एस रावत ने पहाड़ की खेती को उन्नत करने के लिए बहते बरसाती पानी को रोकने पर विशेष जोर देते हुए कहा कि जब तक हम बरसाती पानी के संग्रह की सुनियोजित प्लानिंग नहीं करते हैं,तब तक कृषि के भविष्य के बारे में सोचना ठीक नहीं होगा। इस वर्ष मौसम का जो मिजाज देखने को मिला है, उसने हमें एक-एक बूंद पानी का संचय करने के लिए मजबूर कर दिया है। साथ ही उन्होंने टपक सिंचाई पद्धति का अधिकाधिक प्रयोग किए जाने पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि यहां के उद्यान वैज्ञानिकों द्वारा हमारे परिसर में कीवी, आड़ू आदि फल पौधों का जो प्रदर्शन किया गया था वह पूरी तरह फलीभूत हुआ है। इसी तरह अन्य स्थानों में भी किया जाना चाहिए। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं जाने-माने श्वेत क्रांति के विशेषज्ञ डा एम एस चौहान ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की बदलती हुई सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए वैज्ञानिक इस प्रकार के अनुसंधानों को किसान के खेत तक उतारने का प्रयास करें, जिससे उनका खेती के प्रति मोह पैदा होने के साथ वह सम्मानजनक ढंग से अपना जीवन यापन कर सकें। खेत प्रकृति की ऐसी देन है,जहां एक दाना बोने पर प्रकृति हमें सौ दाने लौटाकर देती है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता एवं वैज्ञानिक डा दीपाली शर्मा, डा ए के शर्मा, डा शिवदयाल, डा पुरुषोत्तम, डा एस सिंह, डा अजय प्रभाकर, डा बलवान सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए। आईसीएआर कैंपस के संयुक्त निदेशक डा वाई एस मलिक ने पशुओं की घातक बीमारियों की जानकारी देने के साथ कैसे अधिक दूध के उपार्जन के उपाय बताए। निदेशक डा जी पी जायसवाल ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य कृषि प्रबंधन एवं कृषि प्रसार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित।प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं पशुओं में होने वाली मदहीनता के कारण एवं निवारण पर आधारित साहित्य का लोकार्पण किया। इस अवसर पर केवीके के सभी वैज्ञानिक व अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे। कार्यशाला में कुलपति ने कमांडेंट रावत को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।