चंपावत। सही मायने में उत्तराखंड के कण कण में शिवत्व व देवत्व का भाव छुपा हुआ है। इसीलिए इसे देव भूमि कहा जाता रहा है ।आज तक उन्होंने देवभूमि में कुदरत द्वारा बरसाई गय्य नियमतें यहां के शैल शिखरों, नदियों की तलहटी में देवाधिदेव महादेव एवं जगत जननी मां भगवती के मंदिरों से निकालने वाला तेज एवं ओझ हर व्यक्ति को आध्यात्मिक चिंतन व उन्हें धर्म व कर्म की डोर में बाँधता आया है ।यहाँ के बारे में सुना भर था लेकिन आज महादेव जी के बुलावे पर यहां आने पर आने का अवसर मिला है। यहां की शांत व सुरम्य वादियों, लोगों के आत्म व्यवहार ने हमारी यात्रा के थकान को भी लील लिया है। यह कहना था मानसखंड मंदिर माला के तहत पुणे महाराष्ट्र से पहली बार मानसखण्ड एक्सप्रेस विशेष ट्रेन से टनकपुर पहुंचे 280 पर्यटकों का कहना था । जिले के प्रवेश द्वार में पारंपरिक रूप से उनका भव्य व अविस्मरणीय स्वागत किया गया। जिला पर्यटन विकास अधिकारी अरविंद गौड़ के अनुसार पुणे महाराष्ट्र से पहली बार आए पर्यटकों को दो भागों में विभक्त कर अलग अलग स्थानों से जिसमे आधे चंपावत जिले से तथा इतने ही लोगों को नानकमत्ता क्षेत्र से नैनीताल होते हुए विभिन्न दर्शनीय स्थानों का भ्रमण कराया जा रहा है। एक सप्ताह तक विभिन्न स्थानों में भ्रमण करने के बाद सभी यात्री दल टनकपुर में एकत्रित होकर गंतव्य की ओर प्रस्थान करेंगे।पर्यटन विभाग द्वारा अपने घर के मेहमान की तरह उनका ख्याल रखे जाने से काफी खुश ही नहीं बल्कि प्रभावित भी हुए हैं। प्रथम दिन उन्होंने सेल शिखर में स्थित मां पूर्णागिरि के दर्शन कर प्रकृति को खूब नजदीक से निहारा तथा धन्यवाद दिया।