लोहाघाट। आइटीबीपी की 36वीं वाहिनी में हिमवीर वाइफ्स वेलफेयर एसोसिएशन (हावा) की पैट्रिक मनोरमा रावत का कहना था कि महिला भोग विलास की वस्तु नहीं, उसकी कोख में सारा संसार छुपा हुआ है। जिस दिन व्यक्ति ईश्वर के इस शाश्वत सत्य को जान लेगा उसे उसी दिन से पुरुषों का महिलाओं के प्रति आचार-विचार व संस्कार बदलकर नारी को नारायणी मानने लगेगा। रावत हावा के 31वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी। उन्होंने महिला शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि पढ़ी-लिखी संस्कारवान महिलाएं होती हैं तो वह अपने घर को ही नहीं समाज का दर्पण बन जाती हैं। शिक्षा से अधिक संस्कारों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा महिलाओं को तय करना है कि वह देश के लिए मर मिटने वाले वीर की मां बनना चाहती हैं या देश को कमजोर करने वाले गद्दार की। उन्होंने देश के लिए शहीद नंदन सिंह चम्याल, परमानंद जोशी, जगदीश सिंह का भावपूर्ण स्मरण करते हुए कहा कि उनकी शहादत हमें देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने की प्रेरणा देती है। इस अवसर पर श्रीमती रावत ने शहीदों की वीरांगनाओं निर्मला, जानकी एवं मीना को साल ओढ़ाकर सम्मानित करते हुए उन्हें हावा को अपना परिवार मानते हुए कहा, जो सदा उनके पीछे चट्टान की तरह खड़ा है। उन्होंने कहा वीरांगनाओं को समाज के हर क्षेत्र में सम्मान दिया जाना चाहिए। इससे पूर्व रावत ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर हिमवीर परिवारों की महिलाओं ने राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत कार्यक्रमों का जहां शानदार प्रदर्शन किया वहीं उन्होंने सारे देश की संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों को मंच में प्रस्तुत कर देश की समूची एकता का भी संदेश दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिलाओं को मुख्य अतिथि द्वारा पुरुस्कृत कर सम्मानित भी किया गया।

By Jeewan Bisht

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