चंपावत केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा संचालित विधायक या सांसद निधि को जिन परिकल्पनाओं के आधार पर संचालित किया गया।उसके परिणामों पर नजर डाली जाए तो आम आदमी की नजर में सरकारी धन के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं हुआ। इस निधि से भले ही माननीय अपने कार्यकर्ताओं को कुछ समय के लिए खुश कर देते हों लेकिन जिनके लिए यह निधि खर्च की जानी चाहिए थी वे तो हाथ मलते रह जाते हैं। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि सत्तारूढ़ दल के हर कामों में मीन-मेख निकालने का आदि विपक्ष, विधायकों के वेतन भत्तों व विधायक निधि की राशि बढ़ाने के मामलों में दोनों की दांत काटी दोस्ती हो जाती है।आम जनता सवाल करती है कि आखिर जनता के करों कि इस धनराशि का जिस रूप में प्रयोग हो रहा है उसे देखते हुए या तो विधायक निधि की प्रथा समाप्त की जानी चाहिए या सभी सरकारी निर्माण कार्यों की तरह विधायक निधि के कार्यों का अनुश्रवण कर यदि उसमें खामियां पाई जाती हैं तो इस धनराशि की वसूली माननीयों के पेंशन से की जानी चाहिए। लोगों में इस बात को लेकर हैरानी है कि हिमाचल जैसे राज्य में माननीयों को एक करोड़ अस्सी लाख रुपए सालाना विधायक निधि मिलती है। लेकिन उत्तराखंड की समान परिस्थितियां होने के बावजूद उन्हें 3.75 करोड रुपए दिए जाने का क्या तुक है? उसमें भी निधि की राशि बढ़ाने की मांग की जा रही है।
– प्रमुख राज्य आंदोलनकारी एडवोकेट नवीन मुरारी का कहना है कि विधायक नीधि के कार्यों में कोई पारदर्शिता व गुणवत्ता न होने के बावजूद जब सभी जानते हैं कि इस नीधि का सरासर दुरुपयोग हो रहा है तो इसे समाप्त करने के बजाय इसकी राशि में इजाफा करने की बात करना यह उत्तराखंड के साथ सरासर अन्याय नहीं तो और क्या है?उनका यह भी कहना है कि विधायक निधि की धनराशि जनता के खून पसीने की कमाई होती है।
राज्य आंदोलनकारी गिरधर सिंह अधिकारी का कहना है कि विधायक निधि के खर्च करने के जो तौर तरीके हैं उसे देखते हुए तो इसे समाप्त ही किया जाना चाहिए। यदि यह जरूरी है तो इसके लिए विधायक को पूरी तरह जिम्मेवार बनाया जाना चाहिए। यदि कहीं कोई गड़बड़ी पायी जाती है तो इसके लिए विधायक से बकायदा वसूली भी की जानी चाहिए।
राज्य आंदोलन के शीर्ष नेता के डी सुतेड़ी का कहना है कि भत्ते व नीधि बनाने की जरूरत तो आशा वभोजन माताओं को है। विधायक निधि तो समाप्त की जानी चाहिए। इससे जनता के धन का सरासर दुरुपयोग के अलावा और हो क्या रहा है? अघोषित रूप से ठेकेदारी चल रही है विधायक निधि जरूरी है तो इसके लिए विधायक को जवाबदेही बनाया जाना चाहिए?