चंपावत। यहां से बस्तियां के बीच 75 किलोमीटर के दायरे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बहनों, चाची, आमा ने जिन भावनाओं से स्वागत किया उसमें आत्मियता, वात्सल्य, करुणा, आशीर्वाद, जीवन में और ऊंचाइयों को छूने की असीम शुभकामनाएं छलक रही थी। 75 वर्ष की कुंती आमा ने “जी रऐ जाग रऐ खूब फलिय फुलिए पुष्करों इस्सी के सबोकों भल करिए” जैसे अंतर्मन के भाव इस बात के गवाह बने हुए थे कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यदि सही मन से जन सेवा करने पर व्यक्ति इसी सम्मान को पाने का हकदार बन जाता है। इस भावपूर्ण सम्मान के पीछे महिलाओं को रोजगार, स्वरोजगार, आत्मसम्मान मिलने, गरीबों का सहारा बनने, किसी की बेटी की बगैर प्रलोभन के नौकरी लगने, किसी को वृद्धावस्था पेंशन लगने, कृतज्ञता सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त कर स्वाभिमान से जीवन यापन करने का भाव छलक रहा था। दरअसल चंपावत की भूमि से चुनाव मैदान में उतरने के बाद न तो मुख्यमंत्री ने सोचा था कि उन्हें लोगों का इतना असीम दिल से भरा प्यार – स्नेह मिलेगा और वह उनके लिए कुछ नया कर पाएंगे ऐसी ही स्थिति यहां के लोगों की थी। उन्होंने विधायक तो किसी को बनाया था और उनकी सेवा करने वाला दूसरा ही चेहरा आ गया। दरअसल लोग इसे मां पूर्णागिरि, गोलज्यू महराज, मां हिंगला देवी, मां बाराही की ऐसी प्रेरणा मानते हैं, जो कुछ भी हो रहा है इसके पीछे ईश्वरीय शक्ति काम कर रही है। इसी सोच के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर धामी काम कर रहे हैं, जिन्होंने “अबला कहीं जाने वाली महिलाओं को अब सबला बना दिया है”
मुख्यमंत्री ने उड़कर जाने के बजाय सड़क में बैठकर दौड़ने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य टनकपुर राजमार्ग में पर्यटन विकास के ऐसे कार्यक्रम संचालित करना है जिससे महिलाओं द्वारा उत्पादित वस्तुओं को ऐसा बाजार मिले जिससे उन्हें उनका पूरा मूल्य मिलने के साथ हर उत्पाद की खपत हो सके। जिले में 2200 सौ महिला समूह सक्रिय हैं जिसमें सबसे ज्यादा दूध के उत्पादन से जुड़ी हुई है। दूध से बने बायो प्रोडक्ट के लिए इससे अच्छा बाजार नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा अब यहां की महिलाएं ऐसे मॉडल तैयार कर रही हैं जो चंपावत जिले की पहचान एवं यादगार बनेंगे। आज दूध के उत्पादन के क्षेत्र में चंपावत जिला पर्वतीय जिलों की प्रथम पंक्ति में खड़ा हो गया है। महिला समूह को स्वरोजगार एवं सम्मान से जोड़ने में पर्दे के पीछे सहायक परियोजना अधिकारी एवं लगनशील युवा महिला विंमी जोशी का प्रयास सब की आंखें खोल रहा है। लोगों का कहना है कि यदि इसी भावनाओं से अन्य अधिकारी भी कार्य करें तो मांडल चम्पावत जिले की फिजा ही बदल जाएगी।

