खेतीखान। तल्लाकमलेख धूनाघाट के भूमिया मंदिर में आयोजित हो रहे श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवसीय कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज से पहुंचे। वैदिक विधि-विधान और सनातन परंपरा से कर्मकांडो को संपन्न कराने और ज्योतिष गणना के लिए अपनी विशेष पहचान रखने वाले वेद पुराणों के मर्मग्य आचार्य प्रकाश पाण्डेय ने “सर्वे भवन्तु सुखिनः” से कथा का आरंभ किया और कहा जगत के कल्याण में ही हमारा कल्याण भी निहित है। यही हमारे वेद पुराणों का सार तथा सनातन धर्म भी यही कहता है।
उन्होंने कहा जिस प्रकार हम मां भगवती की पूजा अलग-अलग रूपों में करते हैं, ठीक उसी प्रकार हमारे घर की बहू-बेटियां भी पूजनीय है। जैसे मां भगवती को दुर्गा, काली, सरस्वती, लक्ष्मी आदि के रूप अपने हृदय में पाते हैं, उसी प्रकार एक स्त्री को बाल्यकाल में बेटी, पत्नी, बहू, माता रूप में आदर करना चाहिए। अर्थात स्त्रियां तो सर्वदा पूजनीय है। जिस घर में महिलाओं का समान नहीं होता वह स्थान सर्वदा अपवित्र है। इसलिए कहा भी गया है-“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।”
