लोहाघाट। उत्तराखंड के नगर निकायों, नगर पालिकाओं एवं नगर निगमों का कार्यकाल दो दिसंबर को समाप्त होने जा रहा है। लेकिन अभी तक सरकारी तौर पर चुनाव की कोई तैयारियां दूर तक नहीं दिखाई दे रही है।जिसे देखकर लगता है कि निर्धारित समय में चुनाव संपन्न नहीं होंगे। वर्तमान में उत्तराखंड की 80 फ़ीसदी से अधिक निकायों में भाजपा प्रतिनिधित्व कर रही है समयावधि पूरी होते देख कर निकायों के सभी अध्यक्षों व सभासदों द्वारा चुनाव में जाने के लिए अपनी तैयारियां पुरी की हुई है। चुनाव निर्धारित समय में न होने से जाहिरातौर पर निकायों को प्रशासन के हवाले किया जाएगा। ऐसी स्थिति में जनप्रतिनिधियों द्वारा अब तक तैयार किया गया विकास का टेंपो में पानी फिर सकता है।
नगर पालिका के तेजतर्रार सभासद आर के शाह का कहना है कि सरकार द्वारा समय से चुनाव न करने का खामियाजा उन्हें भूगतान पड़ेगा। उन्होंने अपने कार्य व्यवहार से जनता में अपने पक्ष में माहौल बनाने का दावा किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों के यहां आम लोग आकर अपनी समस्याएं बेहिचक रखते हैं। ऐसी स्थिति में प्रशासकों तक आम लोगों की पहुंच नहीं हो पाती है। इसका नुकसान स्वयं सत्तारूट दल को उठाना पड़ सकता है। निकायों एवं नगर पालिका के अध्यक्षों का कहना है कि जब सरकार चुनाव संपन्न नहीं कर पा रही है तो उसे निकायों में प्रशासक बैठाने के स्थान पर बोर्डो का ही कार्यकाल क्यों नहीं बढ़ाया जाता ? इससे लोगों को ही राहत मिलती।
वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश चंद्र उप्रेती के अनुसार उत्तर प्रदेश म्युनिसिपालिटीज एक्ट 1916 की धारा 10-ए(१) के अनुसार राज्य सरकार शासकीय विज्ञप्ति के माध्यम से निकायों के बोर्ड का कार्यकाल दो वर्षों तक बढ़ा सकती है।