लोहाघाट । कभी अपने अस्तित्व के लिए तरस रही होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति अब दिनोंदिन लोकप्रिय होती जा रही है। लोहाघाट में होम्योपैथिक महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ उर्मिला बिष्ट के द्वारा अपने कार्य व व्यवहार से यहां होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को काफी लोकप्रिय बना दिया है। अब पहले की तुलना में तीन गुना अधिक रोगी चिकित्सालय में आने लगे हैं, जिसमें महिलाओं की तादाद सर्वाधिक है। महिलाओं का कहना है कि महिला संबंधी रोग जैसे श्वेत प्रदर, खून की कमी, कमर दर्द, शरीर में कमजोरी, एलर्जी आदि तमाम रोगों के लिए तो होम्योपैथी रामबाण साबित हो रही है। डॉ बिष्ट द्वारा कोरोनावायरस एवं डेंगू की रोकथाम के लिए नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जो शिविर लगाए जा रहे हैं, उसी का प्रतिफल है कि इस पैथी के प्रति लोगों का विशेष रुझान बढ़ता जा रहा है। अब रोगी एलोपैथिक दवाओं से तौबा करने लगे हैं। शरीर में किसी प्रकार की एलर्जी को समाप्त करने की होम्योपैथिक दवा में काफी क्षमता है।
जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ अशोक नगरकोटी का कहना है कि होम्योपैथिक चिकित्सा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि रोगी को गोली चूसते रहने पर उसे आरोग्य मिलता रहता है, जबकि एलोपैथ में एक दिन गोली न खाने पर रोग पुनः उभर आता है। इस पैथी में रोग ही नहीं शरीर में इतनी रोग प्रतिरोधी क्षमता पैदा की जाती है कि शरीर में रोग प्रवेश न कर पाए। कमजोर शरीर में रोग पहले आक्रमण करता है, जिससे सरदर्द, जुखाम, पेट दर्द, खांसी,उल्टी दस्त आदि लक्षण आने लगते हैं। कोरोना महामारी के दौरान होम्योपैथिक दवाओं से इतनी रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ी कि इस बीमारी को नियंत्रित करना संभव हुआ है।

By Jeewan Bisht

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