चंपावत। केंद्र सरकार ने दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत दिव्यांगों को एक विशिष्ट पहचान पत्र यूडीआइडी कार्ड जारी करने के निर्देश राज्यों के समाज कल्याण विभाग को दिए गए हैं।
समाज कल्याण विभाग ने जिलों में दिव्यांगों के चिन्हिकरण, यूडीआइडी कार्ड , दिव्यांग पेंशन , रेलवे पास, दिव्यांगों के आवश्यक उपकरण सशक्तिकरण व पुनर्वास से संबंधित सहायता व सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जिलों के दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों को जिम्मेदारी दी है।
जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के विधिवत संचालन के लिए निर्धारित मानकों की शर्तों पर अनुबंध भी किए गए हैं। केंद्र व राज्य सरकार के माध्यम से दिव्यांगों को दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ अब इस विशिष्ट कार्य के माध्यम से दिव्यांगों को मिल सकेगा।
आधार कार्ड, पैन कार्ड की ही तरह अब दिव्यांगों का यह एक विशिष्ट पहचान पत्र होगा। इस कार्ड धारक दिव्यांग को केंद्र व राज्य सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ दिव्यांग पुनर्वास केंद्रो मे मिल सकेगा।
40% प्रतिशत व अधिक दिव्यांंगता वाले व्यक्ति को यूडीआइडी कार्ड जारी किए जाने के निर्देश केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को दिए हैं ताकि आधार कार्ड पैन , कार्ड की तरह दिव्यांगों को भी एक विशिष्ट पहचान पत्र जारी किया जा सके एवं इस विशेष कार्ड के माध्यम से राज्य व केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिव्यांगों को प्राप्त हो सके और उन्हें इधर-उधर न भटकना पड़े।
लेकिन दिव्यांंग दिव्यांगों की घोर उपेक्षा,अनदेखी व लापरवाही बरती जा रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र चम्पावत में देखने को मिला,जब सैकड़ो विशिष्ट दिव्यांग पहचान पत्र दिव्यांगों तक वितरित नहीं किए गए हैं और धूल फांक रहे हैं।
गौरतलब है कि यह सभी यूडी आईडी कार्ड विकासखंड चम्पावत,बाराकोट, लोहाघाट,पाटी, पूर्णागिरी से संबंधित दिव्यांगों के हैं। कई दिव्यांगों ने ऑनलाइन कार्ड हेतु महीनों पूर्व पंजीकरण करवाने के बावजूद यूडीआईडी कार्ड न मिलने की शिकायतें भी समय-समय पर विभाग से की जातीं है , लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। साफ जाहिर है कि ऑनलाइन यूडीआइडी कार्ड, पंजीकरण में घोर लापरवाही, पारदर्शिता व समुचित मॉनिटरिंग की व्यवस्था ना होने के कारण , दिव्यांग अधिकार अधिनियम का अनुपालन प्रभावित हो रहा है एवं दिव्यांग हितों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सक्षम के जिलाध्यक्ष हिम्मत सिंह ने कहा कि दिव्यांग हितों की उपेक्षा की उच्च स्तरीय जांच होना आवश्यक है। दिव्यांगों की यह स्थिति कब तक ऐसी रहेगी?यह भी एक बड़ा सवाल है।

By Jeewan Bisht

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