पाटी : धूनाघाट से करीब 20 किमी दूर बांज के घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच स्थित ऐड़ी ब्यानधूरा मंदिर, गोली (चम्पावत) में सात दिवसीय तक मद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का वैदिक मंत्रोपचार व भव्य कलश यात्रा के साथ शुभारम्भ हो गया है। इस दौरान प्रतिदिन होने वाले पंचांग पूजन एवं रूद्री पाठ के पहले ही दिन समूचा क्षेत्र भक्तिमय हो उठा। अपराह्न 1:00 बजे से सायं 4:00 बजे तक चली कथा में वैदिक विधि विधान और सनातन परंपरा से कर्मकांडो को संपन्न कराने और ज्योतिष गणना के लिए अपनी विशेष पहचान रखने वाले वेद पुराणों के मर्मग्य आचार्य प्रकाश पाण्डेय की संगीतमय कथा को सुनने के लिए दूर दूर से श्रद्धा पहुंचे हुए थे। इस दौरान कथा व्यास ने मद् भागवत के प्रथम श्लोक-“सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे I तापत्रयविनाशाय कृष्णाय वयं नुमः” से कथा का आरंभ किया। उन्होंने बताया कि देवी भागवत पुराण, जिसे मद् देवी भागवत भी कहा जाता है, इसमें देवी दुर्गा की महिमा और शक्तियों का वर्णन है।
उन्होंने आगे कहा जिस स्थान में जिस किसी भी रूप में देवी देवताओं की कथा होती है वह स्थल सर्वथा तीर्थ के समान होता है। उन्होंने कथा का बखान करते हुए कहा कि मृत्यु को जान लेने मात्र से ही मनुष्य मृत्यु के भय मुक्त हो जाता है और उसकी प्रीति ईश्वर एवं कथा के प्रति उसी प्रकार बढ़ने लगती है ।
जिस प्रकार राजा परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया था। इसी प्रकार भागवत जीव को अभय बना देती है। उन्होंने आगे कहा श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का साक्षात स्वरूप है, जो हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। कलिकाल में भगवत कथा के श्रवण, हरि भजन और संग कीर्तन ईश्वर प्राप्ति और मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य “मोक्ष” प्राप्ति का एक मात्र सरल उपाय भी है।
