लोहाघाट। पशुओं में फैली लंपी वायरस की महामारी की तीव्रता में आंशिक कमी आई है। पशुपालन विभाग द्वारा रोग की रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। सघन आबादी वाले क्षेत्रों में चिकित्सा शिविर लगाये जा रहे हैं। उधर डेयरी विभाग के चुनाव में ड्यूटी पर लगाए गए पशुपालन विभाग के डाक्टर व पशुधन प्रसार अधिकारी को ड्यूटी से मुक्त कर उनके स्थान में अन्य कर्मचारियों को लगाया गया है। इस वायरस के कारण अभी तक दर्जनों पशुओं की मौतें होने के निरंतर समाचार मिल रहे हैं। किंतु पशुपालन विभाग अभी तक पूरे आंकड़े नहीं जुटा पाया है। अलबत्ता विभाग ने पंद्रह मेडिकल टीमें गठित कर विभिन्न क्षेत्रों में भेजी हुई है, जो लगातार वायरस को नियंत्रित करने में लगी हुई है। इस कार्य में कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक का भी सहयोग लिया जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों के पास छोटी गौशाला होने के कारण एक पशु के बीमार होने पर दूसरा पशु भी उसकी चपेट में आ जा रहा है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. पीएस भंडारी के अनुसार वायरस की तीव्रता में आंशिक कमी आई है। अलबत्ता प्रत्येक गांव इसकी चपेट में आए हुए हैं। इस बीच नए मामले बहुत कम होते जा रहे हैं। यदि यही रफ्तार रही तो एक पखवाड़े के भीतर वायरस को नियंत्रित करने का दावा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक 27445 पशुओं का टीकाकरण 629 का उपचार किया जा चुका है, जिसमें 558 पशु ठीक हो चुके हैं। क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी बृहस्पतिवार को चंपावत दौरे में आ रहे सीएम धामी से लंपी वायरस से हुए नुकसान की ताजा जानकारी देने के साथ इसे महामारी घोषित कर पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिलाने की मांग करेंगे। विधायक के अनुसार महामारी को आपदा में शामिल किए जाने से वायरस के कारण पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलने से राहत मिलेगी। विधायक का कहना है कि दुधारू पशुपालन यहां के लोगों की गुजर करने का मुख्य जरिया है। महामारी ने 80 प्रतिशत मवेशियों को अपनी चपेट में लिया हुआ है, जिससे इस बीच दूध के उत्पादन में भी काफी गिरावट आ गई है। लाधिया घाटी क्षेत्र में भी पशुओं की मौतें होने का समाचार मिला है।
I appreciate the time and effort you’ve put into compiling this content. Thanks for sharing it with us.