देवभूमि के कण-कण में समाया हुआ है देवत्व का भाव।
लोहाघाट। आज चिकित्सा पेशे में मानवीय संवेदनाएं जिस तेजी के साथ कम होती जा रही हैं, ऐसे सामाजिक परिवेश में भी यदि कोई निस्वार्थ भाव से नर को नारायण मानकर…
सच वही जो हमने कहा
लोहाघाट। आज चिकित्सा पेशे में मानवीय संवेदनाएं जिस तेजी के साथ कम होती जा रही हैं, ऐसे सामाजिक परिवेश में भी यदि कोई निस्वार्थ भाव से नर को नारायण मानकर…