लोहाघाट। बेटी के विवाह के लिए गहने बनाने आई मां यदि कहीं झोला भूल जाती है या उसका पर्स कहीं खो जाता है या स्टेशन में कोई कीमती सामान से भरा झोला भूल जाए तो उस परेशान व्यक्ति की मनोदशा कैसी हो रही होगी? यदि कोई पुलिस वाला सहसा उस सामान को लौटाने आता है तो उस व्यक्ति की खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है। आज के समय में कोई पुलिस वाला ऐसी सहृदयता दिखा रहा हो तो सहसा विश्वास नहीं होता। लेकिन यह सत्य है। लोहाघाट के भीड़भाड़ वाले स्टेशन बाजार में धूल से बचने के लिए मास्क लगाए व काला चश्मा पहने दिनभर डाक बंगला रोड समेत पेट्रोल पंप से लेकर हिटलर मार्केट तक तेज चलते यदि कोई दुबला-पतला पुलिस वाला मिल जाए तो समझ लो कि यह वही हेम मेहरा है जो न केवल अपने कार्यों से पुलिस की गरिमा व गौरव को ही नहीं बड़ा रहा है बल्कि यातायात पुलिस कर्मी के रूप में वक्त-बे-वक्त इनमें आठ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी निभाने की अभूतपूर्व क्षमता है। वैसे श्री मेहरा का इतना इकबाल है कि यह गलत दिशा में वाहन खड़ा करने पर किसी को बखस्ते नहीं हैं। आए दिनों यह ऑनलाइन वाहनों के चालान कर रहे हैं, लेकिन इनसे कोई इसलिए नहीं उलझता है कि यह कोई गलत कार्य नहीं करते हैं। इनकी दिनभर कितनी दौड़-धूप होती है कि यदि इनके पैरों में मीटर लगा होता तो प्रतिदिन यह 20 किलोमीटर का आंकड़ा पार कर गए होते। श्री महरा की सेवाओं को देखते हुए कई बार नागरिकों के अलावा पुलिस महानिदेशक, डीआईजी, पुलिस कप्तान द्वारा सम्मानित किया जा चुके हैं। स्टेशन बाजार में किसी बुजुर्ग, असहाय व्यक्ति या बीमार व्यक्ति को बस में चढ़ाना या उतारना होता है तो इस कार्य को वह अपने लिए सौभाग्य मानते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को गाइड करने में जो शालीनता एवं शिष्टाचार का यह परिचय देते हैं। इसे लोग मॉडल जिले की पुलिस के लिए अच्छा संकेत मानते हैं।
भले ही ट्रैफिक व्यवस्था जैसे कार्य में हेम मेहरा ने कभी जेब गरम करने की इच्छा नहीं रखी, लेकिन उन्होंने इतनी दुआएं बटोरकर पुलिस विभाग का माथा ऊंचा किया है। ऐसे पुलिसकर्मी को सेल्यूट मारने में लोगों के हाथ नहीं थकते हैं।