चंपावत। जिले में जिलाधिकारी समेत सभी अधिकारियों के कार्यालयों का पूरा दारोमदार प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवानों पर टिका हुआ है। पीआरडी के जवानों को ऐसा प्रशिक्षण मिला है कि वह अपने दायित्वों का पूरी तरह निर्वाह करने के अलावा जंगल में आग बुझाना हो, संस्थाओं, कार्यालयों की चौकीदारी हो, कार्यालय में डाटा ऑपरेटर का कार्य हो या वाहन चलाने का यानि कोई ऐसा कार्य नहीं है जो यह जवान नहीं करते हैं। विभिन्न समारोह आदि ऐसे सार्वजनिक स्थान, जहां व्यवस्था बनाना हो या भीड़ को नियंत्रित करना हो, सभी जगह यह जवान अपनी परीक्षा की कसौटी में खरे उतरते आ रहे हैं। इन्होंने सरकारी तंत्र में अपनी विश्वसनीयता बनाई हुई है। हालांकि पहले की तुलना में पीआरडी प्रशिक्षित जवानों को ड्यूटी के लिए दर दर नहीं भटकना पड़ रहा है। लेकिन इतना कार्य करने के बावजूद भी उन्हें होमगार्ड की तुलना में बहुत कम मानदेय मिलता है।
पीआरडी जवान संगठन के अध्यक्ष भैरव जोशी के अनुसार राज्य सरकार पीआरडी जवानों के हितों की सरासर अनदेखी कर रही है। उनका कहना है कि होमगार्ड के जवानों के कार्यों की तुलना में कहीं कम उन्हें मानदेय मिलता है। होमगार्ड के जवानों को जहां प्रतिमाह 25000 रुपए तथा भत्ते मिलते हैं, वही पीआरडी जवानों को मात्र 19500 मानदेय मिलता है। पीआरडी जवानों की ड्यूटी की भी कोई सीमा नहीं है। चंपावत जिले में वर्तमान में 350 पीआरडी जवान सेवारत हैं, जिसमें 47 महिला जवान शामिल हैं। उन्हें होमगार्ड के बराबर मानदेय देने की लंबे समय से मांग चली आ रही है। संगठन का कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी निकट से पीआरडी की सेवाओं को देखते आ रहे हैं। संगठन को उम्मीद है कि इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर को मुख्यमंत्री पीआरडी जवानों को होमगार्ड के बराबर मानदेय व अन्य सुविधाएं दिए जाने की घोषणा करेंगे।