रीठासाहिब। मीठे रीठे के चमत्कार के लिए जहां रीठासाहिब की विश्व मानचित्र में अलग पहचान बनी हुई है। आए दिनों मां बाराही समूह की जागरूक महिला दिया गुरुरानी के द्वारा अपने उत्पादन के जरिए यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों के मुंह का स्वाद व जायका बदला जा रहा है। दिया ने सिलबट्टे में जड़ी बूटियां मिलाकर भंगुरे, पुदीना, गदरायण, तिमुर, पहाड़ी इलायची, जीरा, धनिया, अदरक आदि अनेक प्रकार के डेढ़ दर्जन नमक की किस्में तैयार की जा रही हैं। हर नमक अपना अलग ही स्वाद एवं जायका दे रहा है, जिसे यहां आ रहे तीर्थ यात्री काफी पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा यहां बिच्छू घास में स्थानीय जड़ी बूटियां मिलाकर ग्रीन टी भी तैयार की जा रही है। जिसे पीने वालों का कहना है कि इससे रोग प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि हो रही है। दिया के इस उद्यम को गुरुद्वारे के प्रबंधक बाबा श्याम सिंह भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।
यहां दिल्ली से आए तीर्थ यात्री दिलबाग सिंह, रोहन सिंह, दलजीत सिंह का कहना है कि पहाड़ी जैविक उत्पादों का अपना अलग ही स्वाद है। वह यहां के उत्पादों को अपने रिश्तेदारों के लिए भी ले जा रहे हैं। दिया – लौकी, पेठा, ककड़ी के साथ अब कद्दू की भी बड़ी बना रही हैं। कद्दू की बड़ी तो बीपी भी नियंत्रित कर रही है। आंवला, अदरक एवं पहाड़ी केले की कैन्डी का भी अलग अलग स्वाद है। दिया हर उत्पाद को बहुत ही सफाई के साथ तैयार कर रही है। इनका ऐसा व्यवहार है कि इनके पास ग्राहकों की कोई कमी नहीं है, किंतु हाथ से यह उतना उत्पादन नहीं बना पाती हैं और मशीन खरीदने के लिए इनकी क्षमता नहीं है।
दिया बहुत मेहनतकश महिला हैं।
जिले की परियोजना निदेशक एवं महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाते आ रही बिम्मी जोशी का कहना है कि दिया एक काफी मेहनती एवं ऐसी जीवट महिला है जिन्होंने स्वयं को रोजगार से जोड़ने के साथ कई महिलाओं को भी इस कार्य में लगाया हुआ है। वास्तव में इनके उत्पादन की मांग के अनुसार इन्हें मशीन खरीदने के लिए किसी सीएसआर की मदद की आवश्यकता है ।