लोहाघाट। एबटमाउंट धरती का ऐसा स्वर्ग है, जहां की वादियां व्यक्ति को अपने आगोश में बांध कर उसे ईश्वरीय सत्ता से जोड़ देता है। इस स्थान से मॉडल जिले के पर्यटन विकास की ऐसी शुरुआत की जानी है कि यह देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सके। पर्यटकों की स्थिति उस मधुमक्खी की तरह होती है जो पराग के लिए बिना बुलाए उसे ढूंढ लेती हैं। जरूरत है इसके लिए एक स्वस्थ ऐसा माहौल पैदा करने की कि पर्यटन के क्षेत्र में हम हिमाचल, कश्मीर, आदि स्थानों से पीछे नहीं है। यह बात जिलाधिकारी मनीष कुमार ने पहली बार भारी वर्षा के बीच एबटमाउंट का भ्रमण करते हुए कही। पूरे क्षेत्र को नजदीक से समझने के बाद उनका कहना था कि हम पर्यटकों को ऐसी सुविधाये एवं उनसे मेहमान की तरह रिश्ता जोड़कर उन्हें सम्मान से विदा करेंगे तो वही मॉडल जिले के हमारे “ब्रांड एंबेसडर” बनेंगे। जिलाधिकारी ने मुख्य राजमार्ग से एबटमाउंट को जोड़ने वाले ढाई किमी लंबी सड़क में किए जा रहे नवनिर्माण के कार्यों को भी देखा, यह सड़क हमारा पर्यटकों को परिचय देगी। यहां “सनराइज एवं सनसेट डेक”के बाद हिमालय की बदलती कलाबाजीयो एवं उगते व अस्त होते हुए सूर्य का ऐसा दीदार होगा जो पर्यटकों को प्रकृति के और नजदीक ले आयेगा। एबटमाउंट में लगभग 131 लाख रुपए से बन रहे हेलीपैड से दिल्ली, मुंबई,आदि स्थानों से आने वाले पर्यटकों की दूरी बहुत कम हो जाएगी बल्कि रीठासाहिब में भी हेलीपैड बनाने की तात्कालिक आवश्यकता है। जहां देश-विदेश के तीर्थ यात्री यहां गुरु घर में हुए मीठे-रीठे के चमत्कार को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। लोहाघाट एवं सूखीडांग की झील पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बन रही है। एबटमाउंट से झूमाधूरी होते हुए बाणासुर के किले एवं पूर्व की ओर यहां से जंगल होते हुए शंखपाल-धर्मघर तक छोटे ट्रैकिंग रूट बनाए जा सकते हैं। जिलाधिकारी का स्पष्ट कहना है कि यहां पर्यटन विकास के साथ स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करना इतना जरूरी है, जिसके लिए युवाओं को हर कार्य का प्रशिक्षण दिया जाएगा। पंचेश्वर एंगलिंग के लिए एशिया में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। यहां पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन की आभार संभावना है। अद्वैत आश्रम मायावती धरती का ऐसा स्वर्ग है जहां स्वयं युगपुरुष विवेकानंद जी ने एक पखवाड़े तक प्रवास किया था। इस स्थान से अध्यात्म, सेवा,समर्पण की ऐसी महक आती है जो पर्यटकों को अपनी और खींच लेगी। मॉडल जिले के लिए डीएम के पास इतना समय नहीं कि वह बरसात में भी बैठे रहे। लोहाघाट । मॉडल जिले में जिलाधिकारी के रूप में आए मनीष कुमार के पास इतना समय नहीं है कि वह भारी वर्षा के बावजूद भी अपने दफ्तर में बैठने के बजाय वह जिले के भूगोल को समझने व लोगों की दिक्कतों को नजदीक से जानने में अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। मॉडल जिले के लिए “आज क्या किया? कल क्या करना है”? की थीम पर कार्य कर रहे जिलाधिकारी ने अधिकारियों की बैटरी चार्ज कर उनको जनता के प्रति अधिक जवाबदेह बनाने के साथ उनकी कार्य शैली में भी बदलाव आता जा रहा है।