चंपावत। वनों को आग से बचाने के लिए स्थानीय लोगों को विश्वास मै लेकर उनकी पूरी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीणों से लगातार संपर्क स्थापित किया जाना चाहिए। वन मै आग लगने पर सबसे पहले इसकी जानकारी पास मै रहने वाले ग्रामीणों को ही होती है। यह बात क्षेत्रीय भ्रमण पर आई निदेशक वानिकी प्रशिक्षण केंद्र एवं नोडल अधिकारी तेजस्विनी पाटिल ने व्यक्त किए। पाटिल ने विभिन्न स्थानों में उपलब्ध संसाधनों एवं क्रू स्टेशन का भी जायजा लेते हुए कहा कि वनाग्नि से जंगलों को बचाना वन विभाग के लिए किसी युद्ध से कम नहीं हैं। विभागीय रणनीति ऐसी होनी चाहिए कि जिससे कम नुकसान मै अधिक सफलता मिल सके, इसमें सबसे कारगर वह गांव के लोग ही होते हैं जिनके पूर्वजों ने इस वन संपदा को आग से बचाया है। इस कार्य में वन कर्मियों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान देना चाहिए।
बाद में उन्होंने प्रभागीय कार्यालय में डीएफओ नवीन चंद्र पंत एवं उनके सभी अधिनस्त कर्मियों से सीधा संवाद स्थापित कर इस कार्य मै आ रही दिक्कतों की भी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने चीड़ बाहुल वनों से पिरूल के एकत्रीकरण के जरिए स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर भी विशेष जोर दिया,अब शासन द्वारा पिरूल के अच्छे रेट दिए जा रहे हैं तथा ग्राम स्तर पर अधिकाधिक लोगों को इस कार्य मै लगाया जाए जिससे उन्हें आय होने के साथ वन भी बच सकें। डीएफओ पंत ने विभागीय प्रयासों की नोडल अधिकारी को जानकारी देते हुए कहा कि इस संबंध में ग्राम स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने मास्टर कंट्रोल रूम का भी निरीक्षण कराया। नोडल अधिकारी ने डीएफओ के प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए इस बात पर जोर दिया कि हमारे प्रयासों की सफलता का मापदंड यह माना जाएगा कि हम वनों को सुरक्षित रखने मै कितने सक्षम हुए हैं।