चंपावत। मॉडल जिले में “फास्ट स्पीड” से कार्य करने के लिए जिला स्तरीय एवं अन्य अधिकारियों को अब अपना टूर प्रोग्राम जिलाधिकारी को देना होगा। इसी के साथ उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर यह बताना होगा कि उन्होंने वहां जाकर जनता की कौन सी समस्या का समाधान किया? जिले के अब प्रत्येक विभाग को अपने पांच अच्छे कार्यों की सूची देनी होगी। किसी भी कार्यालय में लोगों की फाइलें लटकाने के बजाय उसमें “क्विक एक्शन” लेना होगा जिससे एक ही समस्या को लेकर वह व्यक्ति जिला मुख्यालय में दुबारा ना आ सके। जिलाधिकारी का कहना है कि मॉडल जिले का मतलब सरकारी धन खपाना नहीं बल्कि हमारे द्वारा ऐसे कार्य किए जाने हैं जिनका अनुसरण अन्य हिमालयी राज्यों के लोग कर सके।
चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए साधन व संसाधनों की कोई कमी नहीं है। जरूरत है अधिकारी विकास के नए आइडिया एवं सोच से ऐसा कार्य करें जो उनके कार्यकाल की ऐसी पहचान बन सके जिसे लोग भी याद कर सके। जिलाधिकारी की लगातार 12 घंटे कार्य करने की संस्कृति का ऐसा तात्कालिक असर दिखाई दिया कि शुक्रवार के अपराह्न से गायब होने वाले एवं सोमवार को फुर्सत से आने वाले अधिकारियों ने अपना टाइम टेबल ही ऐसा बदल दिया है कि अब आज का काम कल के लिए नहीं छोड़ रहे हैं तथा उनसे मिलने आए लोगों को वे इतना संतुष्ट कर रहे हैं कि वह उस समस्या को लेकर डीएम के सामने ना जा सके। डीएम ने हर कार्यक्रम में राज्य में टॉप आने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए अधिकारियों को आगाह करते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा कि यदि वह मन से किसी कार्य को करने का प्रयास करेंगे तो सफलता उनके चरणों को चूमने आएगी।
