देवीधुरा। रक्षाबंधन के अवसर पर आज यहां दोपहर होते ही सभी लोगों की निगाहें बगवाल मैदान की ओर टिकने लगी थी।हालाकि मौसम की खराबी के चलते लोग अपने घरों से कुछ देर से निकले अलबत्ता बगवाल मैदान के चारों ओर दूर तक जिसे जहां जगह मिली वहां बैठकर बगवाल देखने लगे। पश्चिम दिशा से पहले वालिक खाम के बागवाली वीर अपनी पोशाक के साथ पहुंचे तथा सभी ने मां बाराही की परिक्रमा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद उत्तर दिशा से गहडवाल तथा चम्याल खामों के लोगों ने प्रवेश किया। सबसे अंत में लमगड़िया खामो के लोगों ने प्रवेश किया। बगवाल मैदान के उत्तरी छोर में गहडवाल एवं चम्याल खाम तथा पश्चिमी छोर में लमगड़िया एवं वालिक खाम के वीरों ने मोर्चा संभाला। इससे पूर्व गहड़वाल खाम के 95 वर्षीय खाम प्रमुख त्रिलोक सिंह बिष्ट, चम्याल खाम के गंगा सिंह चम्याल, वलिक खाम के बद्री सिंह बिष्ट एवं लमगड़िया खाम के सबसे युवा खाम प्रमुख वीरेंद्र लमगड़िया ने आपस में विचार विमर्श किया तथा सभी ने मां बाराही से बगवाल के सही सलामत संपन्न होने की प्रार्थना की। मंदिर से ठीक 02:05 बजे शंखनाद हुआ। इसी के साथ बगवाल शुरू हो गई तथा दोनों ओर से पत्थर फल- फूल बरसने लगे जो मिनट तक चले।मंदिर के पुजारी पीतांबर वस्त्र धारण करते हुए चंवर झूलते हुए मैदान में पहुंचे, इसी के साथ बगवाल शांत हो गई। कुछ समय पूर्व जो बगवाली वीर एक दूसरे पर पत्थरों की मार कर उन्हें लहू लुहान कर रहे थे, बगवाल समाप्त होने के बाद एक दूसरे के गले मिलकर कुशल पूछने लगे। बगवाल की कमेंट्री पीठाचार्य कीर्ति शास्त्री कर रहे थे ।
इस दफा चारों खामो के बगवाली वीर उनके लिए नियत की गई ड्रेस कोड के मुताबिक कुर्ता पजामा एवं पगड़ी पहनकर आए हुए थे।इसके बावजूद भी बगैर ड्रेस के हर खाम के लोगों में अनुशासन बनाए रखने की होड़ मची हुई थी। हर खाम के लोग बगवाल का बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अपनी खामो के साथ घर से संकल्प लेकर आए हुए थे।इसके बावजूद भी विवाद हो गया।गहड़वाल खाम के बगवाली वीर बगैर पूरी खाम के मैदान मैं पहुंचने से पूर्व बगवाल शुरू होने से वह उत्तेजित हो गए तथा नारेबाजी करते हुए मंच तक आ गए जिन्हें मंदिर कमेटी के संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया आदि लोगों के द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद उन्हें शांत किया गया। बगवाल मैं आठ दर्जन से अधिक बगवाली वीर चोटिल हुए जबकि लगभग 500 से अधिक बगवाली वीरों ने बगवाल में भाग लिया। घायलों के लिए स्थानीय चिकित्सालय व मंदिर परिसर में अलग-अलग चिकित्सा शिविर लगाए गए थे। सीएमओ डॉ देवेश चौहान बराबर निगरानी रखे हुए थे। सीएमओ के अनुसार किसी भी बगवाली वीर को गंभीर चोटें नहीं आई है तथा उनकी मरहम पट्टी कर उन्हें छोड़ दिया गया।