लोहाघाट -खेती खान के तपनीपाल गांव के प्रगतिशील महेश चंद्र डिक्टिया ऐसे किसान हैं जो पिछले 17 वर्षों से जैविक उत्पाद पैदा कर रहे हैं ।इनमें सीखने की इतनी ललक है कि यह कृषि वैज्ञानिकों की बातों को गांठ बांध लेते हैं ।
यह अपने यहां स्वयं भी खेती पर प्रयोग करते रहते हैं ।इनके यहां जैविक खाद का काफी उत्पादन होता है ।श्री डिक्टिया
द्वारा सब्जियों व फल पौधों में छिड़काव के लिए स्वयं जैविक कीटनाशक रसायन तैयार किया है जो न केवल सस्ता है बल्कि इनसे सब्जियों व फलों की प्राकृतिक रूप से गुणवत्ता और स्वाद बना रहता है ।श्री डिक्टिया के अनुसार 1 लीटर गोमूत्र में 200 ग्राम बिच्छू घास कूटकर तथा इसमें 200 ग्राम तिमोर के बीच मिलाकर दो हफ्ते तक इसे बंद डिब्बे में चढ़ाने के लिए छोड़ दें तो दवा तैयार हो जाती है । बाद में इस तरल पदार्थों को छानकर 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तो सब्जियों में लगने वाला झुलसा रोग समाप्त हो जाता है ।
इसी प्रकार 200 ग्राम तुलसी के पत्ते इतनी मात्रा में तंबाकू के पत्ते तथा 200 ग्राम लहसुन को 10 लीटर पानी में मिलाकर इतना उबालें कि यह 5 लीटर रह जाए , बाद में इसे छानकर 15 लीटर पानी में मिलाकर टमाटर, शिमला मिर्च ,बैगन आदि सब्जियों में छिड़काव करें तो उसमें लगने वाला फल छेदक कीड़ा व काले धब्बे वाला रोग समाप्त हो जाता है।
श्री डिक्टिया का कहना है कि कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट में उस वक्त रहे सब्जी वैज्ञानिक डॉ ए के सिंह किसानों के लिए भगवान से कम नहीं हैं जिन्होंने यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के तौर तरीके बताएं तथा मुझ जैसे गरीब किसान को हर स्तर से प्रोत्साहित किया जिससे वह स्वाभिमान से जी रहे हैं ।
श्री डिक्टिया के यहाँ समीपवर्ती गांव के किसान भी खेती के हुनर सीखने आते हैं।
आज जरूरत है डिक्टिया जैसे किसानों की
लोहाघाट-
कृषि विज्ञान केंद्र की प्रभारी अधिकारी एवं वैज्ञानिक डॉ अमरीश सिरोही का कहना है कि आज ऐसे ही किसानों की जरूरत है जो न केवल स्वयं जैविक खेती के साथ स्वयं जैविक खाद व रसायन तैयार कर रहे हैं । कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से श्री डिक्टिया के यहां जैविक खेती का केंद्र बनाया जाएगा ।उनका कहना है कि आज हर घर में गोमूत्र ,गोबर ,बेसन ,गुड, स्थानीय कोई भी दाल नीम या बिच्छू घास को मिलाकर जीवामृत ,बीजामृत एवं कुनात तैयार कर जैविक कीटनाशक के जरिए पौधों को कीड़ों से मुक्त कर भूमि की उत्पादन क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है।
