लोहाघाट। गुमदेश के प्रसिद्ध चैतोला मेले का राम नवमी के दिन लोहाघाट की ब्लाक प्रमुख नेहा ढेक ने समारोह पूर्वक आगाज किया। उन्होंने इस मेले को सांस्कृतिक धरोहर का जीता जागता नमूना बताया। उन्होंने उन गुमदेश के लोगों द्वारा मेले के स्वरूप को यथावत बनाए रखने के लिए बधाई देते हुए कहा कि सामूहिक प्रयास से ही पारंपरिक विरासत को सहेजा जा सकता है। मेले में दूरदराज क्षेत्रों से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। मेला समिति के अध्यक्ष हरक सिंह भंडारी की अध्यक्षता एवं हरीश कॉलोनी व खीमराज सिंह धोनी के संचालन में हुए समारोह में शिक्षक जोगा सिंह धोनी एवं हरीश कॉलोनी ले मेले के सांस्कृतिक पौराणिक एवं धार्मिक महत्त्व की विस्तार से जानकारी दी कहा यह उत्तराखंड का ऐसा मेला है जहां के लोगों ने अनादि काल से अपने पूर्वजों की सांस्कृतिक विरासत को एक धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा हुआ है। इस अवसर पर मोहित पाठक ,मदन कॉलोनी, नरसिंह धोनी, डिगर सिंह, जगत सिंह भंडारी, राजेंद्र पांडे जुगल किशोर, कल्याण चंद, देव सिंह, आदि ने आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर पंचेश्वर कोतवाली के प्रभारी भी मौजूद थे। मेले में स्थानीय देश- विदेश में रहने वाले लोग सपरिवार अपने घरों में पहुंच गए हैं। क्षेत्र में ऐसी मान्यता है कि यहां की बेटी चाहे कहीं ब्याई हुई हो लेकिन चमू देवता के काज में शामिल होने के लिए वह अवश्य मायके आकर उनका आशीर्वाद लेती है। इसी प्रकार पुरुष परिवार सहित चाहे कहीं भी हो वह अवश्य अपने घर आते हैं तथा चमू देवता की शोभायात्रा में शामिल होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
दोपहर २,११ बजे से गांव से जत्थों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। प्रथम दिन यहां चमदेवल के शिव मंदिर में रखें सिहासन डोली को मडगांव ले जाया जाता है। इसके लिए बकायदा समय व गांव के लिए स्थान शताब्दियों से निर्धारित किए गए हैं। आज पहला जत्था बरदौली गांव से आया उसके बाद जाख,जिंदी सीलिंग,गांव का संयुक्त जत्था चौपता न्योलटुकरा श्रीकोट
मडलक गांव के जत्थे आए। मड़ गांव में रातभर लोकगीतों का गायन जारी रहा।