रीठासाहिब। लधिया घाटी क्षेत्र में सामाजिक जागरूकता की अग्रदूत बनी समाजसेविका दिया गुरुरानी में यह जुनून है कि वह बच्चों को कहीं भी अच्छे संस्कार देने से नहीं चूकती हैं। उनका कहना है कि पाश्चात्य संस्कृति ने हमारी सनातन संस्कृति के मूल्यों, आदर्शों व परंपराओं को गहरा आघात पहुंचाया जा रहा है, जिसके लिए वह बच्चों को शिक्षा से अधिक संस्कारों को महत्व देती आ रही हैं। रीठा साहिब में अवकाश के दिनों बच्चों को संस्कार, उन्हें नैतिक शिक्षा देती आ रही दिया जी कहती हैं कि जो बच्चा माता-पिता, गुरु देवता एवं सयानों को प्रणाम करता है, उसमें जीवन में उतनी ही ऊंचाइयों को छूने की शक्ति ईश्वर से मिल जाती है। भोजन की थाल में अन्न न बचाने, पानी की एक-एक बूंद का महत्व समझ कर उसकी बर्बादी न करने, जंगलों की हरियाली को बनाए रखने के लिए उन्हें आगbसे बचाने हेतु घर-घर तक इस बात को पहुंचाने, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक आदि से बचते हुए उन्हें नींबू पानी, छाछ पीने की सलाह देती आ रही हैं। कल्पना, बबीता, बसंती, यशोदा आदि महिलाओं का कहना है कि दिया दीदी के सानिध्य में आने से बच्चों में ऐसे संस्कार पैदा हो रहे हैं कि वह अब आज्ञाकारी होने के साथ घर में भोजन व पानी की बर्बादी आदि भी नहीं कर रहे हैं।