चंपावत। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की परिकल्पनाओं के अनुरूप चंपावत को हिमालयी राज्यों का मॉडल जिला बनाने के लिए जिला योजना का स्वरूप सतही स्तर पर बदलने की आवश्यकता है। हालांकि जिलाधिकारी नवनीत पाण्डे द्वारा योजना के प्रारंभिक चरण में ही अधिकारियों को इस बात के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि उद्यान, बेमौसमी सब्जियों, दुग्ध उत्पादन , मत्स्य पालन आदि तमाम क्षेत्रों में जब हम आगे बढ़ रहे हैं तो इंटीग्रेटेड खेती की ओर कदम बढ़ाने होंगे, जिसमें कम भूमि में किसान एक साथ दूध, सब्जी , मछली , मुर्गी , मौन पालन , मशरूम आदि के छोटे स्तर पर कार्य कर सकें। किसानों को पॉली हाउस के साथ उन्हें टपक सिंचाई की सुविधा देना आवश्यक है। प्रति वर्ष बेलवाले लौकी , ककड़ी , तोरई आदि के लिए सैंकड़ों पेड़ों की बलि दी जाती है। यदि इनके स्थान पर किसानों को तार की जालियां ,आयरन स्टैक दिए जाएं तो वनों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। इंटीग्रेटेड एवं वर्टिकल फार्मिंग की कृषि विज्ञान केंद्र में प्रदर्शन इकाई स्थापित की जाए। मौन पालन को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए केवीके में ज्योलीकोट की तर्ज पर जिले का अपना मौन पालन प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाय।
जिले में मौन पालन का कोई विशेषज्ञ न होने से इस कार्यक्रम में बजट खपाने के ही अधिक प्रयास हो रहे हैं। जबकि उद्यान एवं मौन पालन की जुगलबंदी से न केवल उत्पादों की गुणवत्ता में निखार आता है बल्कि परागण से तीस से पैंतीस फीसदी उत्पादन में इजाफा भी आता है। मौन बक्सों को जिला स्तर पर बनाने के लिए यहां उपलब्ध टुन की लकड़ी का उपयोग किया जाय जिससे किसानों को सस्ते व टिकाऊ मौन बॉक्स मिल सकें। बाहर से आने वाले बक्सों की गुणवत्ता ठीक नहीं कही जा सकती। उद्यान एवं अन्य विभागों द्वारा मैदानी क्षेत्रों से मंगाए जाने वाले फलदार व अन्य पौधों की आपूर्ति जिला स्तर से की जानी जरूरी है। जलागम द्वारा माल्टा के नाम पर जो पौधे बांटे गए, वह सब जामर के निकले। जिले में पाटी ब्लॉक के भुम्वाड़ी गांव के तुलसी प्रकाश जैसे ऐसे काश्तकार हैं जो हजारों विभिन्न प्रकार के पौधों की नर्सरी बनाए हुए हैं। यदि इन्हें सिंचाई सुविधा मिल जाए तो ये कई लोगों को रोजगार देने में सक्षम हैं, ले किंतु ऐसे किसानों की परख कम ही विभागों के लोग कर पाते हैं। सब्जी पौध तैयार करने के लिए केवीके में हाइटेक पॉली हाउस तैयार कर उसमें प्रोट्रे के माध्यम से इतने पौध तैयार किए जाएं, जिससे जिले की डिमांड पूरी की जा सके। इसी के साथ सभी किसानों को मल्चिंग की सुविधा दी जाए। अब कम्पनियां छेद बनाकर मल्चिंग शीट उपलब्ध करा रही हैं, जिससे किसान केवल सब्जी उत्पादन में ही इसका उपयोग कर सकेंगे। फूलों की खेती,हल्दी व अदरक के बीज स्थानीय स्तर पर किसानों के द्वारा ही पैदा करवाए जाएं। पाटी ब्लॉक के कोटा रौलमेल में फूलों का फलता फूलता कारोबार इसलिए ठप हो गया कि किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिली, जिसे पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। चंपावत। जिले में बुरांश के फूलों का इतना उत्पादन होता है कि यदि उसका जूस स्थानीय स्तर पर तैयार किया जाए तो यह कोल्ड ड्रिंक को भी मात दे देगा। इसके लिए छोटे पैक तैयार करने होंगे, जिसके लिए जिले में ही पूर्णागिरी एवं रीठा साहिब जैसे बाजार उपलब्ध हैं।

By Jeewan Bisht

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