
लोहाघाट सीएम सीमांत क्षेत्र विकास योजना में इंटीग्रेटेड फार्मिंग को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। भारत नेपाल सीमा का विभाजन करने वाली मांहाकाली नदी में चंपावत जिले की 90 किमी लंबी सीमा पड़ती है जहां सीमा में चार दर्जन से अधिक गांव आते हैं। इन गांवो में पानी की उपलब्धता के आधार पर यहां इंटीग्रेटेड फार्मिंग की अपार संभावनाएं हैं। घाटी क्षेत्र की गर्म जलवायु में आम, अमरूद, लीची, कटहल, अदरक, बड़ी इलायची, तेजपात, धनिया, आदि का व्यापक उत्पादन किया जा सकता है। हालांकि क्षेत्र में तेजपात, का तो उत्पादन होता है किंतु मार्केटिंग की व्यवस्था न होने से उत्पादक इसे पानी के मोल बेचने के लिए विवश हैं यदि इसका पाउडर बनाया जाए तो न केवल किसानों को इसका अधिक मूल्य मिलेगा बल्कि डुलान से भी काफी आसानी होगी उत्पादक बिक्री के लिए बरेली आदि स्थानों में भी ले जा सकते हैं। घाटी क्षेत्र में मौन पालन मत्स्य, पालन मुर्गी पालन, की व्यापक संभावनाएं हैं हालांकि योजना में पूर्व तक प्रतिवर्ष 6 से 7 करोड रुपए मिला करते थे किंतु नियोजन ना होने के कारण यह योजना ठेकेदार टाइप जनप्रतिनिधियों की भेंट चढ़ गई यह बात अलग है कि इस दफा डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी ने अधिकारियों को सीएम सीमांत विकास योजना को रोजगार परक, एवम ,उत्पादन को बढ़ावा देने आदि कार्यों के लिए संबंधित अधिकारियों से कहा है योजना का परारूप बनाने को कहा है जो एक सराहनीय कदम है किसानों द्वारा डीएम की इस पहल का स्वागत किया गया है यदि सीमा से लगे चंपावत, लोहाघाट ब्लाक, में इस वक्त मिलने वाली सवा दो करोड़, सवा दो करोड़ की धनराशि को कृषि बागवानी एवं इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर व्यय किया जाए तो इससे रोजगार के नए अवसर मिलेंगे
जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा हेतु घेराबंदी किया जाना समय की आवश्यकता बन गया है उत्पादक गांव की सबसे बड़ी समस्या ही जंगली जानवर रहे हैं। रोशाल,धोनी शिलंग, चमदेवल मडलक डूंगरा लेटी, मजपिपल, सुल्ला, पासम आदि। गांवों में लाल चावल की खेती को काफी बढ़ावा दिया जा सकता है। लाल चावल में खुशबू होने के कारण सूअर इससे पहले आकर्षित होता है लाल चावल में पर्याप्त न्यूट्रिशन एवं डायबिटीज को नियंत्रित करने की क्षमता होने से यह चावल महानगरों में ढाई शो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। अभी तक किसानों को इसकी जानकारी नहीं है मैदानी क्षेत्रों से व्यापारी यहां आकर 60 से ₹70 किलो की दर से चावल खरीद ले जाते हैं कृषि विभाग द्वारा मौजूदा समय में लगभग ढाई सौ हेक्टेयर क्षेत्र में दाल चावल की खेती की जाती है जिसका क्षेत्रफल इस शर्त पर बढ़ाया जा सकता है कि खेतों में सुवरो के आने आने के रास्ते बंद कर दिए जाए।
