लोहाघाट। राजकीय पीजी कॉलेज में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) के तत्वावधान में जीआई टैग एवं एआई पर आधारित दो दिनी राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला शुरू हो गई है, जिसमें देश के जाने-माने विषय विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा देवभूमि उत्तराखंड की विषम परिस्थितियों के बावजूद भी यहां की तमाम प्रतिभाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। आज हम ऐसे मुकाम पर खड़े हैं,जब हम अपने ज्ञान को विज्ञान से जोड़कर अपने क्षेत्र के उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए उसे जीआई टैग से जोड़ दें तो इससे न केवल उत्पाद की अहमियत बढ़ने के साथ कई गुना अधिक उसका मूल्य मिलेगा। उन्होंने यहां की हाथ से बनी लोहे की कढ़ाईयों का जिक्र करते हुए कहा कि यदि इसमें जीआई टैग लगा होता तो आज के बाजार की व्यवस्था में इसकी आसानी से मूल्यवर्धन के साथ कई गुना बिक्री होती। इसी प्रकार हार्ट के लिए उपयोगी बुरांश के फूल के रस को यदि पेटेंट किया जाय तो उसकी खरीद के लिए लोग लाइन लगाने लगेंगे। यूकोस्ट स्थानीय उत्पादों को जीआई टैग से जोड़कर युवाओं को रोजगार एवं अर्थव्यवस्था से जोड़कर उनके लिए सम्मानजनक ढंग से जीने का अवसर प्रदान कर रहा है। अकेले चम्पावत जिले में यूकॉस्ट 2000 युवक एवं युवतियों को इस कार्य में जोड़ने के प्रयास में लगा है। उन्होंने सेमिनार के सफल आयोजन के लिए महाविद्यालय परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया।

इससे पूर्व महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो संगीता गुप्ता ने मुख्य अतिथि समेत सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया तथा इस राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला की मेजबानी का अवसर दिए जाने के लिए आभार जताया। नोडल अधिकारी डॉ बी पी ओली एवं डॉ अर्चना त्रिपाठी ने सेमिनार का कार्यवृत्त रखा। डॉ सोनाली कार्तिक के संचालन में विशिष्ट अतिथि एमएमआरडी जेएनयू के निदेशक रविशंकर ने जीआई टैग को वस्तु का मूल्यवर्धन करने का माध्यम बताया वहीं गेस्ट ऑफ हॉनर पीजी कालेज बाजपुर के प्राचार्य प्रो के के पाण्डे ने कहा कि एआई एवं जीआई के माध्यम से हम अपने विलुप्त होते जा रहे उत्पादों व संस्कृति का संरक्षण कर सकते हैं। प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ सी डी सूठा ने भौगोलिक संरचना व बौद्धिक संपदा अधिकार का विशेष अंग बताते हुए जीआई टैग को बेहतर माध्यम बताया वहीं केंद्रीय उद्योग मंत्रालय के एग्जामिनर पेटेंट एण्ड इंडस्ट्री यासिर अब्बास ने भारत सरकार से जीआई टैग प्राप्त करने की विस्तार से जानकारी दी। प्रो मनोज पाण्डे ने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़कर अपना नॉलेज बैंक बढ़ाने की जरूरत बताई। इस सेमिनार में 70 से अधिक शोषपत्र पढ़े जाएंगे,जिसमें चुने हुए शोध पत्रों का प्रकाशन भी किया जाएगा। मुख्य अतिथि समेत अन्य लोगों ने “जीआई टैग्स फॉर टुमारो” पुस्तक का विमोचन भी किया। सेमिनार में यूकॉस्ट के मुंबई से आए प्रहलाद अधिकारी, दिल्ली से पी एस बिष्ट,रुहेलखंड विवि से सूरज शर्मा,चंपावत से एआई एक्सपर्ट प्रकाश चन्द्र उपाध्याय,गैरसैंण से प्रतिभा नेगी,बेरीनाग से कल्पना,देवीधुरा से पूजा लोहनी,पूनम एवं रीता पाण्डे, सहित अनेक शोधार्थी प्रतिभाग कर रहे हैं। सेमिनार के आयोजन में डॉ लता कैड़ा, डॉ अपराजिता, डॉ कमलेश शक्टा,डॉ रुचिर जोशी, डॉ महेश त्रिपाठी,डॉ रवि सनवाल, डॉ भगत लोहिया, डॉ नीरज कांडपाल, डॉ दीपक जोशी, डॉ वंदना चंद,चंद्रा जोशी के अलावा एनसीसी कैडेट उपस्थित थे।

By Jeewan Bisht

"द पब्लिक मैटर" न्यूज़ चैनल पर स्वागत है. यहां आपको मिलेगी उत्तराखंड की लेटेस्ट खबरें, पॉलिटिकल उठापटक, मनोरंजन की दुनिया, खेल-जगत, सोशल मीडिया की वायरल खबरें, फिल्म रिव्यू, एक्सक्लूसिव वीडियोस और सेलिब्रिटीज के साथ बातचीत से जुड़े रहने के लिए बने रहे "द पब्लिक मैटर" के साथ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

NEWS

error: Content is protected !!